Short Hindi Story With Moral – नकली राजा – Hindi Story
नकली राजा – Hindi Story
Short Hindi Story With Moral
किसी जंगल में एक गीदड़ रहता था | भुलवश एक दिन वह एक नगर में घुस गया | नगर के कुत्तों ने उसे देखा तो वे भोंकते हुये उस पर झपट पड़े | आगे-आगे सियार भागा जा रहा था और पीछे-पीछे कुत्ते |
भागते-भागते सियार एक धोबी के घर में घुस गया | धोबी के घर में नीले रंग के पानी का टब रखा था | सियार कुत्तों के हमले से डर के मारे अंधाधुन भाग रहा था, इसलिए वह सीधा ही उस घर के नीले पानी के टब में जा गिरा |
टब में गिरने से उसका रंग बदल गया | जब कुत्तों ने देखा कि यह गीदड़ नहीं है, तो वे उसे छोड़ कर चले गये | कुत्तों के जाने के बाद वह गीदड़ फिर वहां से जंगल की ओर भाग गया | उसका रंग आसानी से नहीं छूटा |
जैसे ही गीदड़ जंगल में घुसा तो शेर, चीते, भेड़िए आदि ने उसे देख कर कहा – “ अरे यह विचित्र प्राणी इस जंगल में कहां से आ गया |” वे सब उसे देखकर डर गये | डर के मारे वे इधर-उधर भागने लगे | भागते-भागते हुये यही कह रहे थे कि “ इस भयंकर जानवर से बचो ! बचो |” सारे जंगल में भगदड़ मची हुयी थी | इस मौके के लिए कहा गया है – “ यदि अपना कल्याण चाहते हो तो, हे मनुष्य ! हाव-भाव का कुल और वंश आदि का पता न हो तो उस पर विश्वास नहीं करो |”
भागते हुये जानवरों को देखकर गीदड़ ने भी अपना दाव मारने की सोची और वह बोला – “ ओ भाइयों ! तुम क्यों भाग रहे हो | मैं तुम्हारा शत्रु नहीं हूं | मुझे तो स्वयं ब्रह्मा जी ने भेजा है | ब्रह्मा जी ने मुझसे कहा था कि ‘ बेटा तुम उस जंगल में जाओ, क्योंकि वहां के जानवरों का कोई राजा नहीं है इसलिए तुम वहां के राजा हो |’ तभी तो मेरा रंग तुम सबसे अलग है | यह रंग मुझे भगवान ने दिया है, मैं तीनों लोको का राजा हूं |”
Short Hindi Story With Moral
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गीदड़ की इस आवाज पर सभी जानवर रुक गये और उसके आगे झुकते हुये कहने लगे – “ महाराज ! आपका जो हुकुम हो, हमें दीजिये हम सब आपकी दीन प्रजा है |” गीदड़ ऐसे अवसर पर कहां पीछे रहने वाला था | उसे तो पहली बार राजगद्दी मिली थी | उसने उसी समय अपना दरबार लगाया और शेर को अपना मंत्री बनाया, बाघ को सेनापति का पद, हाथियों को पानी लाने का काम सौंपा | उसने अपने नाती भाइयों गीदड़ो से बात तक नहीं की | उन्हें धक्के देकर बाहर निकलते हुए कहा – “ तुम लोग यहां से चले जाओ | हमारे दरबार में बुजदिलो का कोई काम नहीं है |”
इस प्रकार गीदड़ जी, महाराज ! बनकर उस जंगल में राज करने लगे | शेर जैसे जानवर भी उन्हें सुबह उठकर प्रणाम करते | दिल ही दिल में बहुत खुश गीदड़ जी, शेर द्वारा मारे गये शिकार खाते और मोटे होते जाते |
एक बार पास के जंगल के गीदड़ो ने उस जंगल पर हमला बोल दिया | चारों और हु-हु की आवाज आने लगी और हाहाकार मच गया | छोटे-बड़े जानवर डर के मारे भागने लगे |
“ महाराज ! हम पर हमला हो गया है, हम पर हमला हो गया है | चलिये आप लड़ने के लिये नहीं तो बाहर से आया शत्रु हम सब को मार डालेगा |” जानवरों ने जैसे ही गीदड़ से यह कहा तो गीदड़ महाराज डर के मारे कांपने लगे |
उनका बुरा हाल हो गया उन्होंने कहा कि – “ चलो यहां से भाग चले |” कहकर वह अपने स्वभाववश हु-हु करता हुआ भागने लगा |
गीदड़ की असलियत शेर, चीता, भेड़िए सब समझ गये की यह नकली राजा है | यह तो साधारण गीदड़ है | हम अब तक धोखे में जीते रहे | अब तो ढोल की पोल खुल गयी थी | सब जानवरों ने मिलकर उस धोखेबाज गीदड़ को मार डाला |
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