Best Moral Story in Hindi – कर्मों का फल – Moral Story
कर्मों का फल – Moral Story in Hindi
Best Moral Story in Hindi
जोधपुर के पास एक गांव था | उस गांव में दो कुत्ते रहते थे | दोनों आपस में गहरे मित्र थे | साथ-साथ रहते तथा सोते थे | उनमें से एक कुत्ता काला था, तो उसका नाम कालू था | दूसरा कुत्ता लाल था, अतः उसका नाम लालू था |
एक दिन दोनों कुत्तों ने तीर्थ यात्रा करने की सोची; किंतु वे रास्ता नहीं जानते थे | दोनों ने निश्चय किया कि यात्रा आरंभ तो करें | रास्ता तो अपने आप निकल आएगा |
एक दिन वह दोनों एक साथ तीर्थ यात्रा पर चल दिये | चलते-चलते रात हो गई | वह दोनों एक पेड़ के नीचे सो गये | थके होने के कारण उन्हें नींद आ गई |
सुबह होने पर फिर अपनी यात्रा पर चल पड़े | एक गांव के पास पहुंचने पर होते हैं | उन्हें भूख लग आयी | वहां उन्हें कुछ चूहे दिखाई दिये |
लालू की पूंछ खड़ी हो गयी | वह कालू से बोला – ” क्यों गंडक जी! आप फरमाओ तो मैं इन दो चार चूहों की चटनी बना डालू |”
कालू ने गर्दन हिलाकर कहा – ” नहीं भाई लालू जी! हम तीर्थ यात्रा पर निकले हैं और तीर्थयात्रा में किसी की हत्या करना पाप होता है | तो आप कोई दूसरा उपाय खोजो जिसमें कोई जीव की हत्या ना हो तथा हमें मांस भी ना करना पड़े |”
दोनों कुत्ते एक दोराहे पर रुक गये | वहां पर एक मंदिर था | कुछ देर सुस्ताने के पश्चात दोनों ने फैसला किया कि ” अलग-अलग दिशा की ओर चलना चाहिए | जिसको जो मिलेगा खा लेंगे | एक साथ चलते तो दोनों में से किसी का भी पेट नहीं भरेगा |”
दोनों कुत्ते अलग-अलग दिशा में चल पड़े | चलने से पहले उन्होंने तय कर लिया कि वे वापस आकर इसी स्थान पर मिलेंगे |
लालू कुत्ता चलते-चलते एक गांव में पहुंचा | गांव में एक ब्राह्मण रहता था | वह पूजा पाठ करके भोजन करने ही जा रहा था | उसकी पत्नी ने उसके लिए थाल सजाकर रखा था |
ब्राह्मण ने भोजन को भोग लगाया ही था, कि लालू कुत्ते ने झट से उसकी थाली में मुंह डाल दिया तथा एक पूरी उठाकर भागा | ब्राह्मण ने “हरे राम! हरे राम” कहा तथा हाथ धो कर उठ गया | उसने अपनी पत्नी से कहा – ” बेचारे यह गंडक जी भी भूखे हैं | सो आप यह थाली इन्हें ही खिला दीजिए |”
ब्राह्मण की पत्नी गुस्से से बोली – ” आप यह क्या कह रहे हैं! इस गंडक जी को यह थाली? आप ही कहिए ना इसमें कितने चौखे-चोखे पकवान हैं | खीर, पुड़ियां, दो तरह की सब्जी! अचार, दही |”
ब्राह्मण दयाभाव से बोला – ” तुम ठीक कहती हो पर यह भी भूखे होगे | आप तो यह थाली इन्हें ही दे दे | सोच लो कि इनके ही भाग्य में लिखी थी |”
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इसके पश्चात ब्राह्मण ने लालू कुत्ते को खूब पेट भर कर भोजन करवाया | लालू ने उसे खूब दुआएं दी |
उधर कालू कुत्ता एक किसान के यहां पहुंचा | किसान अपने खेत में काम कर रहा था | उसकी पत्नी थाल रख कर गई थी | थाल में बाजरे की रोटियां और सांगरीयों का साग था | खेत का काम पूरा करके वह थाल खोलकर खाना खाने को तैयार हुआ ही था, कि कालू ने तुरंत ही उसके भोजन में मुह डाला तथा थोड़ी सी रोटी का टुकड़ा तोड़कर भागा |
किसान एकदम गुस्से से भर उठा | उसकी आंखें अंगारों के समान लाल हो गयी | भवे बन गई | उसने अपनी लाठी उठाई | गाली देते हुए उसने लाठी से इतनी जोर से वार किया कि कुत्ते की कमर टूट गयी | वह पीड़ा से चिल्लाने लगा | कमर टूट जाने के कारण वह भाग ही नहीं सका | इसी बीच उसकी कमर में दो चार लाठियां और पड़ गयी | कुत्ता अधमरा हो गया |
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लालू दोराहे पर खा पीकर मस्त पड़ा था | वह आंखें फाड़-फाड़कर अपने साथी की प्रतीक्षा कर रहा था | उसका साथी उसे कहीं भी नजर नहीं आ रहा था | लाचार तथा उदास होकर वह दोराहे पर बैठ गया |
थोड़ी देर बाद उसे कालू नजर आया | वह लपक कर उसकी ओर दौड़ा | उसकी टूटी हुई कमर देखकर वह बहुत दु:खी हुआ | पूछने लगा – ” भाई! तुम्हारे साथ ऐसी बात किसने की? कौन निष्ठुर पापी है | जिसने रोटी के पीछे तुम्हारी कमर ही तोड़ डाली |”
कालू की आंखें भर आई | उसने पीड़ा से कहराते हुए सारी कथा सुनाई | कथा सुनाकर वह क्रोध तथा दु:ख में डूबकर बोला – ” मैं उससे अपना बदला जरूर लूंगा! उस किसान को बताऊंगा, कि खुद की कमर किस प्रकार टूटती है |”
लालू भी कृतज्ञ होकर बोला – ” मुझे भी उस ब्राह्मण का कर्ज चुकाना है | उसने मुझ पर कितनी कृपा की है | मैं रोम-रोम से उसे आशीष देता हूं |”
इसी प्रकार बातचीत करते हुए दोनों कुत्तों ने अंत में यह निश्चय किया, कि उन्हें प्राण त्याग देनी चाहिए तथा प्राण त्यागने के पश्चात उनके घरों में जन्म लेना चाहिए |
इत्तेफाक से न तो किसान के कोई पुत्र था और ना ही ब्राह्मण के | दोनों कुत्तों ने मंदिर के आगे जाकर अपने प्राण त्याग दिए एक ही पल में दोनों मृत्यु को प्राप्त हो गए |
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कालू ने किसान के घर जन्म लिया | किसान बहुत प्रसन्न हुआ; किंतु उसकी खुशी अगले ही पल विलुप्त हो गयी | घर में इस पुत्र के पैदा होते ही उसका बैल मर गया | पत्नी अस्वस्थ रहने लगी | पहले जन्मदिन पर किसान के हरे- भरे खेत को जानवर चट कर गये |
उधर ब्राह्मण के घर भी बेटा पैदा हुआ | पुत्र के उत्पन्न होते ही राज दरबार में ब्राह्मण की पदवी ऊंची हो गयी | ब्राह्मण ने राजा को एक युद्ध में जीत की बात बताई | राजा युद्ध जीत गया | इससे प्रसन्न होकर राजा ने ब्राह्मण को राज पंडित नियुक्त कर दिया | उसे एक महल तथा अपार धन भेंट किया | जैसे-जैसे ब्राह्मण का बेटा बड़ा होता गया | वैसे-वैसे वह भी बाप के समान तेजस्वी निकलता गया | उसने छोटी उम्र में सारे शास्त्रों का अध्ययन कर लिया | वह बड़े-बड़े पंडितों को शास्त्रार्थ मैं हरा देता था | इससे ब्राह्मण की कृति में चार चांद लग गए |
किसान का बेटा बदकारी निकला | वह बात-बात पर अपने बाप को डांटता था | उसे गालियां बकता था | वह जुआ खेलकर बचे-कुचे धन को उड़ाने लगा | किसान बहुत ही दु:खी हुआ | अंत में उसने सोचा कि इस को सुधारने का कोई उपाय करना चाहिए | इस तरह विचार करते हुए वह एक बुद्धिमान व्यक्ति के पास पहुंचा | उसने उसके सामने अपनी समस्या रखी |
बुद्धिमान आदमी बोला – ” तुम इसकी शादी कर दो | शादी की नकेल अच्छों-अच्छों को सीधा कर देती है |”
किसान ने तुरंत अपनी लड़के की शादी करने की सोची | वह लड़की की खोज करने लगा |
ब्राह्मण का विचार भी अपने बेटे की शादी करने का हुआ | एक सुकन्या से उसका विवाह हो गया | उसके बेटे की पत्नी भी सुशिक्षित थी | उसने आते ही घर को स्वर्ग बना दिया |
किसान ने भी अपने पुत्र का विवाह कर लिया | शादी के अगले दिन ही उसका बेटा अचानक चल बसा | उसके बेटे की बहू ने आकर कहा तो वह अचेत हो गया | होश में आते ही वह दीवार से सिर मार मार कर रोने लगा और चिल्लाने लगा – ” हाय मेरा बेटा! मेरी कमर तोड़ कर चला गया |”
ब्राह्मण का बेटा उसी गांव में कथा कह रहा था |
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