Hindi Kahaniya – भाइयों का झगड़ा – Moral Hindi kahani
भाइयों का झगड़ा – Moral Hindi kahani
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एक गांव में धरमचंद तथा करमचंद नामक दो भाई रहते थे | धरमचंद बड़ा तथा करमचंद छोटा था | एक दिन किसी बात को लेकर उन दोनों भाइयों में झगड़ा हो गया | धरमचंद लाठी उठा लाया और करमचंद को पीट दिया | करमचंद को इस बात का काफी दु:ख हुआ | उसने सोच लिया कि उसे अब इस घर में नहीं रहना | इसके साथ अब उसका गुजारा नहीं हो सकता |
ऐसा सोचकर करमचंद घर से निकलकर प्रदेश के लिए चल पड़ा | बहुत दूर जाने के पश्चात उसे एक महूअे का पेड़ मिला | वह चलते-चलते काफी थक गया था | उसी पेड़ के नीचे बैठकर सुस्ताने लगा |
महूअे ने करमचंद को उदास देखा तो पूछ बैठा “ ऐ भाई! करमचंद कहां जा रहे हो |” करमचंद बोला – “ धरमचंद ने हमे मारा है | हम रूठकर परदेस जा रहे हैं |” इस पर महुआ बोला – “ हमारे यहां रहोगे |”
“ क्या खिलाओगे, क्या पिलाओगे, कहां सुलाओगे, क्या औंढाओगे ?”
“ महुआ खिलाऊंगा, महूअे का रस पिलाऊंगा, डाल पर सुलाऊंगा, डाल ओढाऊगा |”
करमचंद बोला – “ नहीं रहूंगा, नहीं रहूंगा, नहीं रहूंगा |”
अब करमचंद आगे चला, रास्ते में एक आम का पेड़ मिला |
आम बोला – “ ऐ भाई! तुम कहां जा रहे हो |”
करमचंद बोला – “ हमें धरम भाई ने बहुत मारा है | हम रूठकर परदेस जा रहे हैं |” तब आम का पेड़ बोला – “ हमारे यहां रहोगे |” करमचंद कहने लगा – “ क्या खिलाओगे, क्या पिलाओगे, कहां सुलाओगे, क्या औंढाओगे ?”
आम बोला – “ आम खिलाऊंगा, अमरस पिलाउंगा, डाल पर सुलाऊंगा, पत्ता ओढाऊंगा |”
करमचंद बोला – “ नहीं रहूंगा, नहीं रहूंगा, नहीं रहूंगा |”
अब वह आगे चला | जाते-जाते एक पोखर मिला | उस पोकर पर एक बगुला मछली पकड़ रहा था | करमचंद को उदास देखकर बगुले ने पूछा – “ ऐ भाई! तुम उदास क्यों बैठे हो |” तब करमचंद बोला – “ हमें धरम भाई ने मारा है | हम रूठकर प्रदेश जा रहे हैं |” तब बगुला बोला – “ हमारे यहां रहोगे |”
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Kahani Hindi : Kahani Hindi – किसान और ठग – Hindi Kahani
करमचंद बोला – “ क्या खिलाओगे, क्या पिलाओगे, कहां सुलाओगे, क्या औंढाओगे ?”
बगुला बोला – “ मछली भात खिलाऊंगा, पानी पिलाउंगा, पलंग पर सुलाऊंगा, तोशक बिछाऊंगा, रजाई ओढाऊंगा |”
करमचंद बड़ा खुश हुआ और बोला – “ रहूंगा, यहीं रहूंगा |”
अब करमचंद और बगुला एक साथ ही एक ही घर में रहने लगे | दोनों रोज मछली पकड़ते और शाम को बनाकर बड़े मजे से खाते |
एक दिन घर में मछली पक रही थी | बगोले ने सोचा “ अगर करमचंद नहीं रहता, तो ढेर सारी मछली वह खुद खाता |” यही सोचकर उसने करमचंद को कुएं पर पानी लेने भेज दिया |
करमचंद पानी लेने चला गया | इधर कढ़ाई में मछली पक रही थी | बगोले ने धीरे से किवाड़ बंद किया और मछली को चड्डी कढ़ाई में से खाने लगा |
मछली काफी गर्म थी | जैसे ही उसने उसे खाया बस उसका मुंह जल गया | उसी समय वह बोक-बोक करके मर गया | करमचंद जब पानी लेकर लौटा तो देखा की किवाड़ बंद है | वह अचंबे में पड़ गया | उसने किवाड़ ठोका और बोला – “ ऐ बगुले भाई! किवाड़ खोलो |” पर वहां सुनने वाला तथा किवाड़ खोलने वाला कौन था ? बगुला तो मर चुका था |”
कुछ घंटे तक जब किवाड़ नहीं खुला, तो हारकर करमचंद बढ़ई के यहां गया तथा उसे अपने साथ लेकर आया | बढ़ई ने जब किवाड़ फाड़कर देखा, तो बगुला मरा पड़ा था और मछली जल कर राख हो गयी थी |
अब बेचारा करमचंद क्या करता | उसने बगुले का क्रिया-कर्म किया | इसके बाद वह बगूले के घर में अकेले रहने लगा |
कुछ दिनों बाद धरमचंद खोजते-खोजते करमचंद के गांव में पहुंचा | उसे मनाकर अपने साथ ले आया | क्योंकि बड़े भाई को अपनी भूल का आभास हो गया था | वह उसे बड़े लाड-प्यार से अपने साथ रखने लगा |
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