Hindi Kahaniya – हिंदी कहानियां – Moral Stories for Students

नेकी का बदला

Hindi Kahaniya

एक वृक्ष की डाल पर एक कबूतर बैठा था | वह वृक्ष नदी के किनारे था | कबूतर ने डाल पर बैठे-बैठे नीचे देखा कि नदी के पानी में एक चींटी बहती जा रही है | वह बेचारी बार-बार किनारे आना चाहती है :किंतु पानी की धारा उसे बाहर ले जा रही है | ऐसा लगता है, कि चींटी थोड़े क्षणों में ही पानी में डूब कर मर जाएगी | कबूतर को दया आ गई | उसने चोंच से एक पत्ता तोड़कर चींटी के पास पानी में गिरा दिया | चींटी उस पत्ते पर चढ़ गई पता बहकर किनारे लग गया | पानी से बाहर आकर चींटी कबूतर की प्रशंसा करने लगी |

उसी समय एक बहेलिया वहां आया और पेड़ के नीचे छुप कर बैठ गया | कबूतर ने बहेलिये को नहीं देखा | बहेलिया अपना बांस कबूतर को फंसा लेने के लिए ऊपर बढ़ाने लगा | चींटी ने यह सब देखा तो पेड़ की और दौड़ी | वह बोल सकती तो अवश्य पुकार कर कबूतर को सावधान कर देती; किंतु बोल तो वह सकती नहीं थी | अपने प्राण बचाने वाले कबूतर की रक्षा करने का उसने विचार कर लिया था | पेड़ के नीचे पहुंचकर चींटी बहेलिये के पैर पर चढ़ गई और उसने उसकी जांघ में पूरे जोर से काट लिया |

चींटी के काटने से बहेलिया चमक गया | उसका बॉस हिल गया | इससे पेड़ के पत्ते खड़क गए और कबूतर सावधान होकर उड़ गया |

 Moral of the Story :- 
” जो संकट में पड़े लोगों की सहायता करता है | उस पर संकट आने पर उसकी सहायता का प्रबंध भगवान अवश्य कर देते हैं |”

उपकार का बदला

Hindi Kahaniya

एक बार एक सिंह के पैर में मोटा कांटा चुभ गया | सिंह ने दांत से बहुत नोचा; किंतु कांटा निकला नहीं | वह लंगड़ाता हुआ एक गडरिया के पास पहुंचा | अपने पास सिंह को आते देख गडरिया बहुत डरा | किंतु; वह जानता था, कि भागने से सिंह दो ही छलांग में उसे पकड़ लेगा | पास में कोई पेड़ भी नहीं था, कि गडरिया उस पर चढ़ जाए | दूसरा कोई उपाय नहीं देखकर गडरिया वही चुपचाप बैठ गया |

सिंह न गरजा, न गुर्राया | वह गडरिये के सामने आकर बैठ गया और अपना पैर उसने गडरिये के आगे कर दिया | गडरिये ने समझ लिया कि यह उसकी सहायता चाहता है | उसने सिंह के पैर से कांटा निकाल दिया | सिंह जैसे आया था, वैसे ही जंगल की ओर चला गया |

कुछ दिनों पीछे राजा के यहां चोरी हुई | कुछ लोगों ने शत्रुता के कारण झूठ-मूठ यह बात राजा से कह दी कि गडरिया चोर है | उसी ने राजा के यहां चोरी की है | गडरिया पकड़ा गया उसके घर में चोरी की कोई वस्तु नहीं निकली | राजा ने समझा कि इसने चोरी का सामान छिपा दिया है | इसलिए उन्होंने गडरिया को जीवित सिंह के सामने छोड़ने की आज्ञा दे दी |

संयोग से गडरिये को मारने के लिए वही सिंह पकड़ा गया जिसके पैर का काटा गडरिये ने निकाला था | जब गडरिया सिंह के सामने छोड़ा गया | सिंह ने उसे पहचान लिया वह, गडरिया के पास आकर बैठ गया और कुत्ते के समान पूछ हिलाने लगा |

राजा को बड़ा आश्चर्य हुआ | पूछने पर जब उन्हें उपकारी गडरिये के साथ सिंह कि कृतज्ञता का हाल ज्ञात हुआ | तब उन्होंने गडरिये को छोड़ दिया |

 Moral of the Story :- 
” सिंह जैसा भयानक पशु भी अपने पर उपकार करने वाले का उपकार नहीं भूलता | मनुष्य होकर जो किसी का उपकार भूल जाते हैं, वह तो पशुओं से भी गए-बीते हैं |”
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Written by lokhindi
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