Hindi Me Kahani – गड़ा हुआ खजाना – हिंदी Story

गड़ा हुआ खजाना – हिंदी Story

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मनिहारपुर नामक गांव में लच्छू नाम का एक किसान रहता था | वह केवल नाम का ही किसान था | क्योंकि वह बहुत आलसी और काम से जी चुराने वाला व्यक्ति था | गांव के लोग उसे प्रेम से सलाह देते कि कुछ काम-धंधा कर लिया करो |

लेकिन लच्छू तो मानो पत्थर का बन गया था, जरा भी टस से मस नहीं होता था | उसे समझा-समझा कर सभी लोग थक चुके थे | आखिरकार उन्होंने उसे समझाना ही बंद कर दिया था |

वह सदा यही सोचता रहता था कि “ काश मुझे कहीं से गढा हुआ खजाना मिल जाता तो अपने लिये शानदार महल बनवा तथा ढेर सारे नौकर रखता तथा मेरा जीवन आराम से बीतता |”

लच्छू की पत्नी लक्ष्मी उससे बहुत परेशान रहती थी | वह दिनभर मेहनत मजदूरी करती और अपने बच्चों का पेट पालती थी | इसमें अगर लच्छू को कुछ काम करने को कहती तो वह उल्टा उसे भला बुरा कहने लगता और मारता- पीटता |

लच्छू के पास कुछ खेती भी थी | परंतु फसल न आने के कारण वह बंजर हो गयी थी | एक बार गांव में भीषण अकाल पड़ा चारों और त्राहि-त्राहि मच गयी | लोग भूखे मरने लगे |

इन सबसे लक्ष्मी बहुत परेशान हुयी | लेकिन लच्छू पर इससे कोई फर्क नहीं पड़ता | वह तो पहले की तरह सपनों में खोया रहता | लक्ष्मी ने जो थोड़े बहुत पैसे बचा कर रख रखे थे, वह भी धीरे-धीरे खत्म हो गये थे |

उन्हीं दिनों गांव में एक महात्मा आये हुये थे | वे बहुत अच्छे प्रवचन कहते थे | गांव वाले बड़ी श्रद्धा से उनके प्रवचन सुनते | उनकी वाणी ओजपूर्ण थी तथा माथे पर अद्भुत तेज था |

लक्ष्मी ने जब उनके विषय में सुना तो वह भी उनसे मिलने पहुंची उसने उनसे अपना सारा दु:ख कहा |

लक्ष्मी की बात सुनकर महात्मा मुस्कुराकर बोले – “ बेटी ! धीरज रख सब ठीक हो जायेगा | अच्छा जाओ और अपने पति को मेरे पास भेजो | उससे कहना कि संत उस गढे हुये खजाने के बारे में बतायेगे |”

लक्ष्मी ने महात्मा को प्रणाम किया और चली गयी | घर जाकर उसने अपने पति से वही बात कही जो संत ने उससे कही थी |

लक्ष्मी की बात सुनकर लच्छू दौड़ा-दौड़ा महात्मा के पास पहुंच गया और बोला – “ बाबा ! मुझे जल्दी से गढे हुये धन का पता दीजिये |”

महात्मा बोले – “ धैर्य रखो ! मैं तुम्हें अभी धन का पता बताता हूं |”

“ जल्दी बताये ! महाराज ! मेरी व्याकुलता बढ़ती जा रही है |” लच्छू ने कहा |

“ उस धन को प्राप्त करना इतना सरल नहीं है | बेटा ! जी तोड़ परिश्रम करना होगा |” महात्मा बोले |

“ मैं कुछ भी करने को तैयार हूं, बाबा ! लच्छू उतावलेपन से बोला |

महात्मा कुछ देर सोचकर बोले – “ तेरे पास कोई खेत है |”

लच्छू बोला – “ हां ” है |

महात्मा मुस्कुराकर कहने लगे – “ तो चल मैं तुझे वहां बताऊंगा |”

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इसके पश्चात दोनों खेत की और चल दिये | वहां पहुंचकर संत एक समतल जगह पर एक बहुत बड़ा घेरा खींचकर लच्छू से बोले – “ देखो बेटा ! इस घेरे के अंदर ही धन गढा हुआ है | यहां खुदाई शुरू कर दो |हां इतना ध्यान रखना, अगर तूने मेहनत से जी चुराया तो कुछ भी नहीं हाथ लगेगा |”

“ मैं आपके आदेशानुसार ही काम करूंगा | महाराज ! परिश्रम से जी नहीं चुराऊगा |” इतना कहकर लच्छू ने महात्मा के चरण छुये और फावड़ा लेने को घर की ओर भागा | महात्मा भी अपनी राह चल दिये |

फावड़ा लेकर लच्छू तुरंत खेतों में वापस आ गया और महात्मा द्वारा बतायी गयी जगह पर खुदाई करने लगा | उसके मस्तिक में तो बस गढे हुये धन को पाने का ही भूत सवार था |

दिन-रात परिश्रम करके लच्छू जमीन की खुदाई करता रहा | धीरे-धीरे उस गोल घेरे में गड्ढा बन गया जो कि कुएं का रूप धारण करता जा रहा था | तभी एक दिन लच्छू ने जैसे ही जमीन पर फावड़ा मारा तो वहां से पानी का फव्वारा फूट पड़ा | लच्छू थोड़ा घबरा-सा गया और सीधा महात्मा के पास पहुंच गया |

“ महाराज ! महाराज ! वहां धन तो नहीं मिला | लेकिन वह गड्ढा पानी से भर गया है | अब वह धन मुझे कैसे मिलेगा |”

“ धीरज रख बेटा ! तू धन के बहुत करीब पहुंच गया है |” महात्मा बोले |

“ अब तू खेत की जुताई करके बीज बोदे और उसी कुएं के पानी से खेत की सिंचाई कर | कुछ समय बाद पौधे उगने से सोने की बालियां निकलेंगी और तु धनवान हो जायेगा |” लच्छू को यह उपाय बताकर महात्मा बिना बताये | अचानक गांव छोड़ कर चले गये |

लच्छू के सिर पर धन पाने का भूत अभी भी सवार था | उसने खेत की जुताई करके बीज बो दिये और उसी कुएं पानी से सिंचाई करने लगा | बीज से पौधे निकले और समय के साथ बढ़ने लगे | धीरे-धीरे उनमें अनाज की बालियां लग गयी | कुछ समय पश्चात अनाज की बालियां पक गयी |

लच्छू ने जब हरे भरे अनाज से लदे खेतों को देखा तो उसकी समझ में सारी बात आ गयी | वह समझ गया कि महात्मा ने उसके आलस्य को दूर भगाने के लिए यह खजाने वाली कहानी गढी थी |

पूरे गांव में लच्छू की फसल जैसी फसल किसी नहीं हुयी थी | लच्छू ने सारी फसल को इकट्ठा किया और शहर ले जाकर उसने उसे खूब अच्छे दामों में बेचा | उसके हाथों में नोटों की गड्डियां थी | उसने मन ही मन महात्मा का धन्यवाद अदा किया और अपने घर की ओर चल दिया | फिर अपनी पत्नी को अपने परिश्रम द्वारा पैदा किया गया खजाना सौंप दिया |

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Written by lokhindi
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