Hindi Moral Stories – अपना दुख – Hindi Stories with Moral
Hindi Moral Stories – अपना दुख
Hindi Stories with Moral / Hindi Moral Stories | Short Stories in Hindi
प्राचीन काल में दक्षिण भारत में एक छोटे से आश्रम में एक साधू रहते थे । आश्रम में एक दो ही शिष्य थे ।
वहा पर सभी प्रकार के लोग थे ।
सबका कोई ना – कोई उद्देश्य होता । कोई अपनी मनोकामना पूर्ण करने के इरादे से आता तो कोई साधू महाराज का आशीर्वाद प्राप्त करने आता ।
एक दिन एक परिवार वहा रोता-पीटता आया ।
साधू महाराज ने उससे पूछा -“क्या बात है, तुम रो क्यों रहे हो?”
परिवार का मुखिया बोला – “साधु महाराज ! हमारा इकलौता बेटा मर गया, हम दु:खी है। हमारे घर का चिराग बुझ गया है, महाराज! हम जीना नहीं चाहते, हमें इस दुनिया के जंजाल से छुङाओ महाराज ।”
साधु ने कहा – “पुत्र, एक दिन सभी को को मरना है, मत रोओ पुत्र! ईश्वर ने यह दुनिया बनायी ही नाश करने के लिए है, अतः इसके मोह से बाहर आओ । पुत्र! मरना-जीना भगवान के हाथ है। रोने से कोई लाभ नहीं ।”
इस प्रकार साधु महाराज ने उन्हें अनेकों उपदेश दिये ।
उन लोगों में पुनः जीवन की आशा का निर्माण हुआ ।
वे साधु को जीवित रहने का आश्वासन देकर वापस लौट गये ।
इस घटना के कुछ दिनो पश्चात् उस दम्पति के यहां एक और पुत्र ने जन्म लिया ।
इसकी खुशी में वह दम्पति एक दिन पुनः साधु महाराज के आश्रम में जा पहुंचे ।
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वहां पहुंचते ही वे आश्चर्यचकित हो उठे |
उन्होंने देखा कि आश्रम में चारो और शांति छाई हुई थी | कहीं भी कोई नजर नहीं आ रहा था |
उस दंपति का मुखिया साधु को आवाज देता अंदर की ओर बढ़ा |
अंदर जाकर उसने देखा कि साधु आश्रम के एक कोने में बैठे रो रहे थे |
यह देखकर उसके आश्चर्य मैं वृद्धि हुई ।
उसने पूछा – “क्या बात है महाराज, आप रो क्यों रहे है ? क्या हो गया महाराज ?”
साधु ने कहा – “मेरी बकरी मर गई….।” कहकर वे पुनः रौने लगे ।
दंपति कुछ देर यह सोचता रहा – फिर पुनः बोला – “परंतु महाराज ! उस दिन तो आपने हमसे कहा था… यह जीवन आती-जाती । एक दिन सभी को मारना है, रोने धोने से कोई लाभ नहीं, फिर अब आप क्यों रो रहे हैं ?”
इतना सुनते साधु ताव में आकर बोले – “तुम्हारा बेटा मेरा बेटा नहीं था, पर यह बकरी मेरी थी ! सब का दु;ख अपना-अपना दु:ख होता है ।”
इतना सुनते ही वह दंपति उल्टे-पांव वापस लौट गये ।
उनकी समझ में आ गया कि सब का दु:ख अपना दु:ख होता है ।
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