Hindi Moral Stories – चालाक बुढ़िया – Story in Hindi

चालाक बुढ़िया – Story in Hindi

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मनिकपुर नामक गांव में एक बुढ़िया रहती थी | बुढ़ापे की वजह से उसके गाल चिपक गए थे तथा बाल सफेद हो गए थे | मुंह में दांत में होने के कारण उसकी ठोदि आगे को निकल आई थी | इससे उसकी नाक जो कि पहले से ही लंबी थी और भी लंबी नजर आने लगी थी |

उस बुढ़िया की एक पोती थी | उस पोती के मां-बाप बचपन में ही मर गए थे | बुढ़िया ने ही उसे पाला-पोसा था | पोती का नाम चंपा था | चंपा बहुत चंचल लड़की थी | अपनी इसी आदत के कारण वह किसी भी काम को ठीक से पूरा नहीं करती थी |

एक दिन बुढ़िया चंपा से बोली – ” बिटिया! मैं रानी के हाथ-पैर में उबटन मलने राजमहल जा रही हूं, तब तक तू खिचड़ी पका कर तैयार रखना |”

रानीवास का काम ठहरा | बुढ़िया को वहां उबटन मलते, रानी को नहलाते, श्रंगार करते दोपहर हो गई | वहां से काम निबटाकर वह जल्दी-जल्दी अपने घर को चल दी | उसे बहुत जोर से भूख लगी हुई थी | वह सोच रही थी कि ” जल्दी घर पर पहुंचु, तो खिचड़ी खाऊं |”

घर आने पर उसने देखा कि चंपा का कहीं पता नहीं है | वह शायद पड़ोस में खेलने चली गई थी | चूल्हे पर रखी खिचड़ी जलकर खाक हो गई थी | बुढ़िया को चंपा पर बहुत गुस्सा आया | वह पड़ोस से कान पकड़कर चंपा को घर लेकर आई और दरवाजा बंद करके उसे दो-चार थप्पड़ मार कर बोली – ” तुझसे तो कोई काम भी नहीं होता | दिनभर खेलने की ही पड़ी रहती है, लड़की की जात है | कुछ सीखेगी नहीं तो पराए घर जाकर कैसे निर्वाह होगा | मैं तो तुझ से बहुत दु:खी हो गई हूं, तेरी जैसी लड़की से तो कोई भूत भी बयां नहीं कर सकता |”

बुढ़िया के मुंह से यह शब्द निकले ही थे! कि अचानक किसी ने दरवाजा खटखटाया बुढ़िया ने पूछा – ” कौन है |”

उत्तर मिला -” मैं भूत हूं |”

बुढ़िया पहले तो डर गई | फिर वह सोचने लगी कि हो सकता है, कोई शैतान लड़का शरारत कर रहा हो और अगर यह वास्तव में कोई भूत है तो ऐसा उपाय करना होगा जिससे यह काबू में आ जाए | इसी कारण वह हिम्मत करके बोली – ” तू यहां किस लिए आया है |”

भूत बोला – ” तेरी पोती से ब्याह करने |”

उसका जवाब सुनकर बुढ़िया घबरा गई; किंतु वह बहुत चालाक थी कहने लगी – ” अगर तू भूत है | तो दरवाजे के छेद में से मक्खी बनकर अंदर आ जा |”

भूत के लिए यह भला कौन सी मुश्किल बात थी | वह बोला – ” अच्छा अभी आता हूं |”

बुढ़िया ने अंदर से छेद में एक बोतल का मुंह लगा दिया और जैसे ही भूत मक्खी बनकर बोतल में घुसा तुरंत बोतल में ढक्कन लगाकर, उसे कसकर बांध दिया | भूत बोतल के अंदर कैद हो गया |

उसने बुढ़िया से बाहर निकलने के लिए बहुत खुशामद की; किंतु बुढ़िया ने उसकी एक न सुनी वह उस बोतल को शहर के बाहर पहाड़ी पर नीम के पेड़ के कोटर में रखकर आई |

बोतल को वहीं पड़े काफी दिन गुजर गए | एक दिन धोबी उसी नीम के रास्ते से होकर कहीं जा रहा था | उसे सुनाई दिया जैसे कोई उसे पुकार रहा हो | वह चौक कर इधर-उधर देखने लगा | उसे पास के नीम के पेड़ में से आवाज आती सुनाई दी | वह पेड़ के पास गया तो उसने उसके नीचे एक बोतल को उछलते-कूदते देखा | गौर से देखने पर धोबी को उसके अंदर एक बड़ी मक्खी नजर आई | धोबी सोचने लगा कि – ” क्या इसी बोतल से आवाज आ रही है |” वह अभी इसी सोच मैं था | बोतल के अंदर से भूत बोल पड़ा – ” भैया! इस बोतल में मैं भूत बंद पड़ा हूं, कृपया तुम इस बोतल का ढक्कन खोल दो| मैं तुम्हारा उपकार मानूंगा |”

भूत का नाम सुनकर पहले तो धोबी चोका इसके बाद वह हिम्मत करके बोला – ” ना बाबा! तू भूत ठहरा | बोतल से निकलकर अगर मुझे ही चिपट गया | तो फिर मैं क्या करूंगा, जिसने तुझे बंद किया है | वह कोई तेरा भी गुरु होगा |”

भूत कांपते हुए बोला -” गुरु न कहो! होने वाली सास कहो |”

” भूतों की भी भला सास होती है ! क्या चक्कर है, बताओ तो जरा |”

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भूत ने कहना शुरू किया – ” वह जो पहाड़ी के नीचे तुम बस्ती देख रहे हो न उसमें एक बुढ़िया रहती है | अगर उसकी शक्ल तुम रात के समय देख लो तो डर के मारे कांपने लगोगे | उसकी एक सुंदर सी प्यारी सी पोती है |” इसके पश्चात भूत ने धोबी को सारा किस्सा कह सुनाया | धोबी को भूत की बात पर बड़ी हंसी आई | वह बहुत दिनों से अपने बेटे के लिए सुंदर बहू की तलाश में था | बुढ़िया की पोती के बारे में सुनकर उसने बुढ़िया के घर जाने का फैसला किया | धोबी को वहां से जाता देख भूत फिर खुशामद करके बोला – ” भैया! तुम्हारे हाथ जोड़ता हूं, मुझे बोतल से बाहर निकाल दो | तुम डरो नहीं | मैं तुम्हारे इस उपकार का बदला अवश्य चुकाऊंगा | मैं इस देश के राजकुमार के ऊपर चढ़ जाऊंगा | जब तक उस राजकुमार पर पानी छोड़ दोगे, उसे तभी छोडूंगा बस राजा खुश होकर तुम्हें बहुत सा इनाम दे देगा |”

धोबी को यह बात पसंद आ गई | उसने बोतल का ढक्कन खोल कर भूत को आजाद कर दिया |

उसके बाद धोबी सीधा बुढ़िया के घर पहुंचा और अपने बारे में बता कर उसने बुढ़िया की पोती से अपने बेटे की शादी पक्की कर दी |

एक दिन वह कुछ खरीदने बाजार गया तो वहां उसने ढिंढोरा पीटते सुना – ” राजा का बेटा बीमार है | वह रह-रह कर चिल्लाता है और दर्द के मारे बेहोश हो जाता है | राजवेद उसका इलाज करके हार गए हैं | जो उसे अच्छा करेगा | उसे दस गांव की जागीर दी जाएगी |”

धोबी समझ गया कि बोतल का भूत राजकुमार को चिपट गया है | वह राज दरबार में पहुंचा तथा राजकुमार को ठीक करने की जिम्मेदारी ली | वह झूठ-मूठ भूत उतारने का ढोंग करने लगा और कुछ मंत्र पढ़कर राजकुमार पर पानी छिड़क दिया |

भूत अपने वायदे के अनुसार राजकुमार को छोड़कर चला गया | राजकुमार ठीक हो गया | राजा बहुत खुश हुआ | उसने धोबी को जागीर में दस गांव जागीर दिए | उधर धोबी ने अपने बेटे से चंपा की शादी कर दी और वह सुख से रहने लगे |

जब भूत को पता चला कि चंपा की शादी धोबी के लड़के से हो गई है तो उसे भारी चिढ़ हुई | वह धोबी के लड़के को सताने लगा | अब तो धोबी बड़ा परेशान हुआ | वह भूत से बोला – ” तू मेरे लड़के को छोड़कर चला जा नहीं तो अच्छा नहीं होगा | मैंने तेरे साथ नेकी की और तू मेरे ही लड़के को सता रहा है | यह ठीक नहीं है |”

लेकिन भूत ने उसकी बात नहीं मानी | अंत में धोबी को एक तरकीब सूझी उसने कुछ ढोलक और नगाड़े वाले को इकट्ठा किया | उसने कहा कि – ” वह गांव की सीमा से उसके घर तक खूब जोर जोर से ढोलक और नगाड़े पीटते हुए आए |”

इधर भूत धोबी के बेटे की जब-जब गर्दन दबा था | वह रह-रहकर चिल्लाता | ढोलक व नगाड़ों की तेज आवाज सुनकर भूत ने धोबी से पूछा – ” यह हल्ला-गुल्ला काहे का |”

धोबी ने कहा – ” मैं क्या जानू | होगा कुछ |”

भूत बोला – ” जरा देखकर तो आओ, की क्या बात है |”

धोबी कुछ सोचने का नाटक करते हुए बोला – ” अच्छा तू कहता है, तो मैं देख कर आता हूं |”

धोबी ने लौट कर बताया कि – ” वह बुढ़िया एक फोज लेकर भूत को पकड़ने आ रही है | और साथ ही उसके पास एक बड़ी बोतल भी है | जिसमें वह भूत को कैद करेगी |”

भूत ने जब यह बात सुनी तो उसके होश गुम हो गए | वह सिर पर पांव रखकर वहां से भाग खड़ा हुआ | इसके पश्चात उसने कभी भी उस गांव का रुख नहीं किया |

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Written by lokhindi
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