Hindi Moral Stories – संतोष – Moral Stories in Hindi
Hindi Moral Stories – संतोष
Moral Stories in Hindi / Moral Stories for Kids | Hindi Moral Stories
किसी नगर में एक राजा राज्य करता था | उसने एक वाटिका बनवायी | इस वाटिका में संसार की हर वस्तु थी | हर वस्तु का मूल्य अलग-अलग था | लेकिन इन वस्तुओं पर मूल्य नहीं लिखा हुआ था | राजा ने यह ऐलान करवाया था, कि जो व्यक्ति सबसे अधिक मूल्य की वस्तु लेकर वाटिका से बाहर आयेगा | उसे इस वर्ष राजपुरुष घोषित किया जायेगा |
राजपुरुष बनने के लालच में लोग वाटिका में जाते हैं | अपने आप वस्तु का मूल्य समझते और उसे उठाकर लाते |
कोई हीरे-जवाहरात लाता |
कोई पुस्तक, क्योंकि ज्ञान से अधिक मूल्यवान कोई और वस्तु नहीं |
कोई रोटी उठाकर लाता, क्योंकि गरीब के लिए रोटी से अधिक मूल्यवान कुछ और वस्तु नहीं है |
इसी प्रकार हर व्यक्ति कुछ न कुछ लेकर ही वाटिका से बाहर आता |
और अंत में !
एक योगी ने वाटिका में प्रवेश किया |
वह पूरी वाटिका में घुमा |
परंतु,
उसने किसी भी वस्तु को हाथ नहीं लगाया | और खाली हाथ ही बाहर आ गया |
और फिर !
जब राजा ने सूची में योगी का नाम देखा और यह देखा कि वह वाटिका से कुछ नहीं लाया है तो उसने योगी को बुलाया |
राजा ने उस योगी से पूछा – “ तुम वाटिका से कुछ भी क्यों नहीं लाये योगी |”
योगी ने कहा – “ लाया हूं, महाराज |”
“ क्या ” उसकी बात पर राजा ने पूछा |
अन्य दरबारी भी हैरानी से उस योगी की ओर देखने लगे |
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Hindi Moral Stories : Moral Stories in Hindi – महापापी – Hindi Moral Stories
योगी ने कहा – “ मैं संतोष लाया हूं, महाराज |”
“ संतोष ” राजा सोच में पड़ गया बोला – “ तुम्हारा संतोष कितना मूल्यवान है |”
“ सबसे ज्यादा मूल्यवान है, महाराज |”
“ कैसे ” राजा ने पूछा |
“ महाराज इस वाटिका में आपने जितनी भी वस्तुएं रखी हैं, उन्हें प्राप्त कर मनुष्य को जो संतोष होता है | वह पूर्ण नहीं है | वह आधा ही संतोष होता है, क्योंकि जिस वस्तु को प्राप्त करने से उसे संतोष मिला है | यदि वह वस्तु खो जाये तो मनुष्य का संतोष भी गुम हो जाता है | संतोष का केंद्र बिंदु मन है | जिसके पास संतोष है, उसी व्यक्ति के पास संसार की सबसे मूल्यवान वस्तु है |”
राजा योगी की बात सुनकर प्रसन्न हुआ | उसने विद्वानों की एक सभा बुलायी और उसमें योगी की बात रखी |
विद्वानों ने योगी की बात को समझा |
और उस योगी को उस वर्ष का राजपुरुष घोषित कर दिया |
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