Hindi Moral Story for kids – दूसरों का भरोसा मत करो – हिंदी कहानी

Hindi Moral Story for kids

एक किसान के पास एक गाय और एक घोड़ा था | वह दोनों एक साथ जंगल में करते थे | किसान के पड़ोस में एक धोबी रहता था | धोबी के पास एक गधा और एक बकरी थी | धोबी भी उन्हें उसी जंगल में चरने को छोड़ देता था | एक साथ चलने से चारों पशुओं में मित्रता हो गई | वह साथ ही जंगल में आते और शाम को एक साथ जंगल से चले जाते थे |

उस जंगल में एक खरगोश भी रहता था | खरगोश ने चारों पशुओं की मित्रता देखी तो सोचने लगा – ” मेरी भी इनसे मित्रता हो जाए | तो बड़ा अच्छा हो, इतने बड़े पशुओं से मित्रता होने पर कोई कुत्ता भी मुझे तंग नहीं कर सकेगा |

खरगोश उन चारों के पास बार-बार आने लगा | वह उनके सामने उछलता-कूदता और उनके साथ ही चरता था | धीरे-धीरे चारों के साथ उसकी मित्रता हो गई | खरगोश बड़ा प्रसन्न हुआ, उसने समझा कि कुत्तों का भय दूर हो गया |

एक दिन कुत्ता उस जंगल में आया और खरगोश के पीछे दौड़ा | खरगोश भागा-भागा गाय के पास गया और बोला – ” गौमाता ! यह कुत्ता बड़ा दुष्ट है | यह मुझे मारने आया है | तुम इसे अपनी सींगों से मारो |

गाय ने कहा – ” भाई खरगोश ! तुम बहुत देरी से आए, मेरे घर लौटने का समय हो गया है | मेरा बछड़ा भूखा होगा और बार-बार मुझे पुकारता होगा | मुझे घर जाने की जल्दी है | तुम घोड़े के पास जाओ |

खरगोश दौड़ता हुआ घोड़े के पास गया और बोला – ” भाई घोड़े ! मैं तुम्हारा मित्र हूं, हम दोनों साथ ही यहां चरते हैं | आज यह दुष्ट कुत्ता मेरे पीछे पड़ा है | तुम मुझे पीठ पर बैठाकर दूर ले चलो |

Hindi Moral Story for kids

घोड़े ने कहा – ” तुम्हारी बात तो ठीक है; किंतु मुझे बैठना आता नहीं ! मैं तो खड़े-खड़े ही सोता हूं | तुम मेरी पीठ पर चदोगे कैसे ! आजकल मेरे सुन बढ़ गए हैं | मैं ना तो तेज दौड़ सकता हूं, और ना ही पैर फटकार सकता हूं |

घोड़े के पास से निराश होकर खरगोश गधे के पास गया | उसने कहा – ” मित्र गधे ! तुम इस पाजी कुत्ते पर एक दुलत्ती झाड़ दो | तो मेरे प्राण बच जाएं |

गधा बोला मैं नित्य गाय और घोड़े के साथ घर लौटता हूं | वे दोनों जा रहे हैं यदि मैं उनके साथ न जाकर पीछे रह जाऊं तो मेरा स्वामी धोबी डंडा लेकर दौड़ा आएगा | और पिटते-पिटते मेरा कचूमर निकाल देगा | मैं अब यहां ठहर नहीं सकता |

अंत में खरगोश बकरी के पास गया | बकरी ने उसे देखते ही कहा – ” खरगोश भाई ! कृपया करके इधर मत आओ ! तुम्हारे पीछे कुत्ता दौड़ता चला आ रहा है, मैं उससे बहुत डरती हूं |

सब ओर से निराश होकर खरगोश वहां से भागा | भागते-भागते वह जाकर एक झाड़ी में छिप गया | कुत्ते ने बहुत ढूंढा; किंतु उसे खरगोश का पता नहीं मिला | जब कुत्ता लौट गया | तब खरगोश झाड़ी में से निकला |उसने चारों ओर देखा और संतोष की सांस ली | फिर वह बोला –

” दूसरों का भरोसा करना सदा धोखा देता है | अपनी सहायता अपने आप ही करनी चाहिए |”
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Written by lokhindi
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