Hindi Story for Kids – अभिमान – Story For Kids
Hindi Story for Kids – अभिमान – Hindi Moral Story
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प्राचीन काल की बात है |
रावण ने शंकर भगवान को प्रसन्न करने के लिए कैलाश पर्वत पर जाकर आराधना शुरू कर दी |
किंतु !
बहुत समय बीतने पर भी भगवान शंकर प्रसन्न नहीं हुये |
तब रावण ने हिमालय के दक्षिण में जाकर आराधना प्रारंभ कर दी |
परंतु इस पर भी शंकर प्रसन्न नहीं हुये |
इस बार रावण ने अपने सिर काटकर शिव को बलि चढ़ानी शुरू कर दी |
जब वह अपने नौ सिर काट चुका, तो भगवान प्रसन्न हो उठे |
उन्होंने उसे दर्शन देकर कहा – “ रावणराज ! जो तुम मांगना चाहते हो, मांग लो |”
रावण ने कुछ पल सोचा, फिर कहा – “ महाराज ! मुझे अतुल बल दीजिये और मेरे सिर पहले की तरह कर दीजिये |”
भगवान शंकर ने कहा – “ तथास्तु!” फिर भी अंतर्ध्यान हो गये |
इधर रावण की सब इच्छाएं पूर्ण हो गयी |
रावण को इस वरदान के मिलते ही सभी देवता व ऋषि बहुत दु:खी हुये |
उन्होंने नारद से परामर्श किया और पूछा – “ इस दुष्ट रावण से हमारी रक्षा कैसे हो सकती है |”
नारद ने कहा – “ आप लोग चिंता ना करें, मैं इसका उपाय करूंगा |”
कहकर नारद अंतर्ध्यान हो गये |
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Story For Kids : Hindi Moral Stories – अपना दुख – Hindi Stories with Moral
इसके बाद वे उस मार्ग पर प्रकट हुये | जिससे रावण वापस लौट रहा था |
रावण से मिलते ही उन्होंने कहा – “ राक्षस राज ! बड़े प्रश्न दिखाई दे रहे हो, तुम्हें देखकर बड़ा हर्ष अनुभव हो रहा है | पर यह बताओ कि आ कहां से रहे हो |”
रावण ने सारा हाल कह सुनाया |
सुनकर नारद बोले – “ तुम मेरे प्रिय शिष्य हो राक्षस राज ! इसलिए तुमसे कहता हूं, कि शंकर की बात पर विश्वास मत करना | उनका कोई भरोसा नहीं है | तुम जाओ और वरदान को प्रमाणित करने के लिए कैलाश पर्वत को उठाओ |”
उस समय रावण अभिमान से चूर था |
वह तत्काल कैलाश गया और पर्वत को उठाने लगा |
पर्वत को हिलता देख शंकर और पार्वती एकाएक घबरा गये |
शंकर जी ने देखा कि “ रावण पर्वत को उठा रहा है |”
शंकर ने कहा – “ यह क्या हो रहा है |”
पार्वती ने हंसकर कहा – “ आपका शिष्य आपको गुरु-दक्षिणा दे रहा है |”
तब,
शंकर ने रावण को शाप दे डाला – “ अरे दुष्ट तुझे मारने वाला जल्द ही पैदा होगा |”
बस नारद का काम बन गया |
रावण पर्वत को रखकर मंद मस्त होता वापस लौट गया |
शिक्षा – “ शक्ति के घमंड में चूर होकर कभी भी अपने बल को व्यर्थ के कामों में नहीं लगाना चाहिये | अच्छे कामों में लगने वाला बल ही अच्छे परिणाम देता है |”
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