Kahani Hindi – किसान और ठग – Hindi Kahani
किसान और ठग – Hindi Kahani
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हरियाणा के एक छोटे से गांव कान्हे में एक बहुत निर्धन किसान रहता था | उसने बड़ी मेहनत से डेढ सो रुपए जोड़े थे | उसके पास जमीन बहुत कम थी | उसने सोचा कि इन रुपयों से एक बैल खरीद लूंगा और दूसरे किसी छोटे किसान के साथ मिलकर काम कर लूंगा | एक बेल उसका हो जायेगा और एक मेरा |
कुछ दिनों बाद पास के कस्बे में जानवरों का मेला लगा | किसान बेल खरीदने मेले में गया | बहुत कोशिश की परंतु डेढ़ सो रुपए में अच्छी नस्ल का बेल मिले | तो कैसे मिले | बहुत कोशिश करने के बाद उसे एक बुड्ढा बेल मिल गया | अच्छी नस्ल का तो था ही साथ ऐबदार भी नहीं था | किसान ने सोचा, ‘ यह ठीक रहेगा | काम ही तो लेना है |’
बेल खरीदने के पश्चात वह अपने गांव की ओर चल दिया | रास्ते में एक छोटी सी बस्ती पड़ती थी | किसान ने रात बिताने के लिए वही जगह चुनी और एक जमीदार के बाड़े में पहुंचा | लेकिन वो ठिकाना एक ऐसे आदमी का था, जो की ठगी तथा चोरी किया करता था | ठग के चार हटे-कटे लड़के भी थे | जो बहुत चुस्त तथा चालाक थे | चारों लड़कों ने किसान को देखा और समझ गये कि यह भोला-भाला है | इसे आसानी से ठगा जा सकता है | उन्होंने किसान से बेल देने को कहा |
भाव-तोल होने लगे | किसान सोच रहा था, कि बीस-तीस रुपये का लाभ हो जाये तो बुराई ही क्या है | उसने बेल का मूल्य दो सो रुपये बताया | ठग के लड़कों ने उस रकम को बहुत अधिक बताया |
तभी बड़ा लड़का बोला – “ चौधरी जी! हमारे मोल-भाव का फैसला होता नजर नहीं आ रहा है | बहुत फर्क है |”
“ फिर क्या करना चाहिए ?” किसान ने पूछा |
किसान को पशोपेश में देखकर ठग के लड़के ने सुझाव दिया | “ किसी बड़े समझदार को पंच मान ले | जितनी कीमत वह बताये, वही तय हो जाये |”
“ तो फिर देर कैसी | हमारे बड़े बूढ़े ताऊ तो बैठे ही हैं | यही फैसला कर दें |” भोले किसान ने बुड्ढे की और लक्ष्य करके कहा | उसे क्या पता था कि वह ठगों के जाल में फंसता जा रहा है | उधर ठग तथा उसके लड़के मन ही मन बहुत खुश हुये | वह तो चाहते ही थे, कि किसान किसी प्रकार और उनके बूढ़े पिता को ही पंच बना ले | बुड्ढा ठग बात को पक्की करना चाहता था |
वह बेरुखी से बोला – “ नहीं भैया ! मैं नहीं पड़ता, इन सब चक्कर में | बूढ़ा हूं | राम का भजन करूं, यही क्या कम है |” बुड्ढे की लापरवाही से किसान का विश्वास उस पर और भी पक्का हो गया | वह श्रद्धा से बोला – “ ताऊजी ! आप बड़े हैं | समझदार हैं | जो भी मोल आप आंक देंगे | मंजूर होगा |”
“ और हमें भी पूरी तरह स्वीकार होगा |” चारो लड़के एक स्वर में बोले |
बुड्ढे ठग ने बड़ी गंभीरता से शांत स्वभाव दिखाते हुये कहा – “ भाई देखो ! अब तो तुम फरिक मान रहे हो | लेकिन कलयुग है | आज के जमाने में पंचों की मिट्टी पलीत हो गयी है | मैं तो यह पंच बनने लेने को तैयार नहीं हूं |”
“ नहीं ताऊजी ! आप जो भी निर्णय देंगे, हम खुशी से मानेंगे |” किसान बोला
“ तो सुनो भाई दोनों फरीक | चाहे मैं जो भी फैसला दू, तुम्हें मानना होगा |”
सारे एक स्वर में बोले – “ ठीक है |”
बूढ़ा ठग किसान को गहराई से निहारते हुए कहने लगा – “ देख भाई ! किसान मैं तेरे बेल की कीमत दो पैसे बताऊंगा | तो क्या करेगा |”
“ मैं वह भी मानूंगा |” किसान ने विश्वास के साथ कहा, उसे पूरा यकीन था | बुड्ढा बुजुर्ग जो करेगा, ठीक करेगा |
बुड्ढे ने लड़को को संबोधित करते हुये कहा – ” भाई लड़कों ! में इस चौधरी के बैल की कीमत एक हज़ार आंकुगा | क्या तुम मानोगे ?”
सभी लड़के एक स्वर में बोले – “ हां ”
ठीक है | फिर तो मैं अभी फैसला किये देता हूं | इतना कहकर बुड्ढा ठग चारपाई से उठकर बेल को आगे पीछे से देखने का नाटक करने लगा | उसने बेल के दांत देखे | पूछ को हाथ से पकड़ कर मरोड़ा | ऊपर नीचे से टटोला | किसान को पूरा यकीन था, कि बेल के पैसे खरीद से कुछ अधिक आंकेगा | ताऊ ठग बेल को ऊपर नीचे से देखकर चारपाई पर आकर बैठ गया | किसान बड़ी उत्सुकता से उसे देख रहा था |
तभी बुड्ढा ठग किसान से बोला – “ देख भाई किसान ! तेरा बुड्ढा बेल दस रुपये का है |”
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Kahani Hindi : Short Moral Story Hindi – सच्चा न्याय – New Hindi Kahani
किसान हक्का-बक्का रह गया | उसको समझते देर नहीं लगी, कि उसके साथ घोर विश्वासघात हुआ है | बुड्ढा न्याय की मूर्ति के स्थान पर धोखेबाज सिद्ध हुआ परंतु अब क्या करें | वचन दे चुका था | खून का घूंट पीकर रह गया | उसने चुपचाप दस रुपये लिये और भारी कदमों से अपने गांव का रास्ता पकड़ा |
घर पहुंचा तो उसकी पत्नी ने पूछा – “ बेल नहीं लाये |”
“ लाया तो था | लेकिन रास्ते में ठगा गया | मेरे साथ बहुत बड़ा धोखा हो गया | खून पसीने की कमाई ठग हजम कर गये |” किसान ने भारी मन से कहा |
“ लेकिन तुम तो बहुत समझदार थे | फिर ठगे कैसे गये |”
पत्नी को किसान ने सारी बात बताइयी | रात को उसे नींद नहीं आई | वह ठगों को पाठ पढ़ाना चाहता था | अचानक उसे एक उपाय सुझा | वह मन ही मन मुस्कुरा दिया |
अगले दिन उसने अपनी पत्नी के बढ़िया कपड़े, गहने तथा श्रृंगार का सामान लिया और उनकी पोटली बांधकर ठगों के ठिकाने की ओर चल पड़ा |
पत्नी बोली – “ कहां जा रहे हो |”
“ ठगों को सबक सिखाने ” किसान बोला |
“ कब तक लोटोगे |”
“ शाम से पहले पहले आ जाऊंगा |”
ठगों के ठिकाने के पास एक जंगल था | वहां किसान ने पत्नी के गहने पहने, श्रृंगार किया | उसने ऐसा रूप बदला की देखने वाला उसे रूपश्री समझे | औरत के वेश में वह ठगों के ठिकाने में पहुंचा | बुड्ढा ठग और उसके चारों बेटे घर पर एक औरत को आये हुये देखकर बड़े ही खुश हुये | चारो बेटे में से किसी की भी शादी नहीं हुई थी | ठगों के घरों में भला रिश्ता कौन करता | औरत घूंघट में रो रही थी | वह करुण कथा सुनाते हुये बोली – “ मुझे मेरे पति ने घर से निकाल दिया है | अब मेरा कोई ठिकाना नहीं है |”
बड़ा लड़का बोला – “ तुम चिंता क्यों करती हो | इस घर को भी अपना ही घर समझो |”
“ लेकिन मैं यहां कैसे रह सकती हूं |”
“ मुझसे शादी कर लो ” बड़े ने कहा |
तभी तीनो लड़के भी बोल पड़े | “ तुमसे ही क्यों कर ले शादी, हम में क्या बुराई है |”
चारों भाइयों में झगड़ा हो गया | बाप से किसी ने फैसला करने को नहीं कहा, उन्हें डर था कि बाप को मामला सौप दिया, तो फिर वही कह देंगे ‘ चलो मैं ही कर लेता हूं, शादी ’
झगड़ा बढ़ा तो किसान रूपी स्त्री बोली – “ आप क्यों लड़ रहे हैं | मैं एक परीक्षा ले लेती हूं |”
“ ठीक है |” चारो एक साथ बोल पड़े |
“ तो सुनो मेरे लिए यहां से दूर कुएं पर से जो एक बाल्टी पानी लेकर सबसे पहले लौटेगा | उसी से विवाह कर लूंगी |” अब क्या था | उसकी बात सुनते ही चारो बाल्टी लेकर वहां से दौड़ पड़े | ठग बेटों को देखता रह गया | किसान ने जब देखा कि वे चारों अब बहुत दूर निकल गये हैं, तो जपटे के साथ उसने अपने स्त्री के कपड़े उतारे | दरवाजा बंद किया और बुड्ढे को बाह से पकड़ लिया | बुड्ढा समझ गया कि अब उसकी खैर नहीं |
किसान ने हुक्म दिया – “ चल बुड्ढे खूटे पर ”
खूंटे से बांधकर किसान ने उसे जो पीटना शुरू किया, तो उसकी आंखों के सामने मौत नाचने लगी | किसान मारता था, और पूछता था – “ क्यों बुड्ढे, मेरा बैल कितने का ” और बुड्ढा कराहता हुआ कहता था – “ माफ करो | मुझे छोड़ दो |”
हाथ जमाते हुये किसान ने कहा – “ बता धन कहां रखा है |” मरता क्या न करता | बुड्ढे ठग ने दबा हुआ धन किसान को दे दिया | किसान ने रुपयों की पोटली बांधी और अपने गांव की और चल दिया किसान के हाथ पूरे पांच सो रुपये लगे थे | उसने अपनी ठगी का बदला ले लिया था|
ठग के बेटे जब पानी लेकर आये तो बुड्ढे ने उन्हें सारी बात बतायी | उन सब ने अपना सिर पीट लिया | अब हो ही क्या सकता था | ठगों को “ शेर का सवा शेर ” मिल गया था |
Hindi kahani : Moral Hindi Story – साधु का स्वपन – Hindi Story
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