Moral Story For Kids Hindi – लल्लू राम – हिंदी में कहानी

लल्लू राम – Moral Stories in Hindi

Moral Story For Kids Hindi

कटनी शहर के पास एक गांव था | वहां पर एक पति-पत्नी बड़ी खुशी-खुशी रहा करते थे | वे साधारण जाति के थे | बड़े लोगों में उनका उठना-बैठना नहीं था | पति का नाम लल्लू राम था |

एक दिन लल्लू राम की पत्नी पानी भरने पनघट पर गयी तो, एक महिला उस पर व्यंग्य करते हुए बोली – “ जैसा लल्लू राम नाम, वैसे ही लल्लूओ जैसी बुद्धि |”

पत्नी को उसका व्यंग्य बुरा लगा | वह घर आयी और अपने लल्लू राम से बोली – “ देखो जी! अब यह रोज-रोज के व्यंग्य मुझसे नहीं सहे जाते | तुम अपना नाम बदल लो | अब मैं लोगों की बातें और नहीं सह सकती |

लल्लू राम ने पत्नी को बहुत समझाया – “ अरे भाग्यवान! नाम में क्या रखा है, काम अच्छे होने चाहिए |”

“ रखा कैसे नहीं ” दो टके की औरत मुझे ताना मार गयी और तुम कहते हो, कि नाम में कुछ नहीं धरा | अब एक बात कान खोलकर सुन लो जब तक तुम कोई नया नाम नहीं खोज लेते | तब तक मैं घर में खाना नहीं पकाऊंगी |

पत्नी के आगे भला किसकी चलती है | अतः लल्लू राम ने लोटा-डोर उठायी और नाम की खोज में चल पड़ा |

एक स्थान से दूसरे स्थान, दूसरे से तीसरे इसी प्रकार लल्लू राम नाम की तलाश में चलता रहा |

चलते-चलते उसने सामने एक अर्थी को आते देखा | लोग अर्थी को कंधे पर लिए जा रहे थे, तथा “राम नाम सत्य है ” बोलते जा रहे थे | लल्लूराम ने सोचा कि यह आदमी मर गया है | अतः इसका नाम में ही रख लेता हूं, उसने लोगों से पूछा – “ कौन मर गया है! भैया |”

उत्तर मिला – “ अमरकांत जी! की मृत्यु हो गयी है, भैया |”

अमरकांत नाम सुनकर लल्लू ने दु:खी होकर कहा – “ यह कौनसा नाम है, जो मर जाता है |” उसने सोचा ऐसे नाम का क्या फायदा जिसका जीवन की वास्तविकता से कोई भी संबंध न हो |

Moral Story For Kids Hindi

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वह आगे बढ़ गया चलते-चलते उसे एक खेत पर एक मजदूर नजर आया | वह खेत पर जी-तोड़ मेहनत कर रहा था | उसे मेहनत करते देख लल्लू राम उससे बहुत प्रभावित हुआ | उसने सोचा कि कितना परिश्रमी आदमी है |  चलो इसी का नाम रख लेता हूं |

उसने पूछा – “ भैया! क्या नाम है तुम्हारा |”

“कुबेर सिंह” वह मजदूर पसीना पहुंचता हुआ बोला और फिर अपने काम में लग गया |

कुबेर सिंह का नाम सुनकर लल्लूराम फिर से दु:खी हो गया, कि नाम तो कुबेर सिंह और काम है मजदूरी | ऐसे नाम में क्या धरा है |

वह आगे बढ़ गया | चलते-चलते रास्ते में उसने एक बोझा उठाने वाले को देखा | वह पसीने से तर-बतर था |  उसकी मेहनत देखकर लल्लू राम उससे भी अत्यंत प्रभावित हुये |

पूछा – “ क्या नाम है, तुम्हारा भाई |”

मेरा नाम “राम जोगी” है! वह आदमी बोला |

“ नाम राम जोगी और काम बोझा उठाने का ”

लल्लूराम फिर से दु:खी हो गया | दु:खी होकर उसके मुंह से यह शब्द निकल पड़े –

“ अमरकांत को मरते देखा |

कुबेर सिंह खेतों पर करे काम

राम जोगी बोझा ढोता

लल्लू उतरेगा पार |”

उसको लगा की नाम की खोज में मारा-मारा फिरना व्यर्थ है | वह घर लौट आया और पत्नी को सारी बात बतायी | सारी घटना सुनकर पत्नी खुद ही कहने लगी – “ चलो छोड़ो! पार उतारना होगा तो लल्लू राम ही पार उतर जायेगा | दोनों पति-पत्नी फिर से अपनी सुख की दुनिया में खो गये | अब पत्नी को नाम से कोई लेना-देना नहीं था ||

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Written by lokhindi
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