Moral Hindi Khanai – लालच का पिशाच – Hindi Kahani
लालच का पिशाच – Hindi Kahani
Moral Hindi Khanai
दो भाई ऊटो पर सवार होकर पैसा कमाने के लिए प्रदेश की ओर रवाना हुये | दोनों बहुत खुश थे कि प्रदेश से खूब पैसा कमा कर लायेगे और आनंद से जीवन व्यतीत करेंगे |
जब वे काफी आगे निकल गये तो अचानक एक बूढ़ा व्यक्ति दौड़ता हुआ उनके पास आया और बोला – “ तुम आगे मत जाना | वहां एक बड़ा भयानक पिशाच बैठा है, वह तुम्हें खा जायेगा |”
इतना कहकर वह वापस चला गया |
दोनों भाइयों ने उसे रोकना चाहा – मगर तब तक वह आंखों से ओझल हो गया |
दोनों भाई सोच में पड़ गये |
अंत में निश्चय किया कि उन्हें आगे बढ़ना चाहिये, क्योंकि एक तो वे दो हैं और ऊपर से जवान भी है | वह बेचारा बूढ़ा आदमी था | अतः हो सकता है, कि वह डर गया हो |
तब दोनों भाई आगे बढ़े |
अभी वे कुछ ही दूर गये थे, कि उन्हें रास्ते में एक थेली पड़ी दिखाई दी |
दोनों भाई अपनी अपनी बंदूक लेकर ऊटो से उतरे | आसपास का निरीक्षण किया और थेली उठा ली |
कुछ क्षण सोचते रहने के बाद उन्होंने थेली को खोला | थेली में सोने की मोहरे थी | मोहरों की चमक के कारण दोनों की प्रसंता का ठिकाना नहीं रहा |
बड़ा भाई बोला – “ भैया ! अब हमें विदेश जाने की जरूरत नहीं है, हमारा काम तो यही बन गया |”
छोटे ने भी उसकी बात का समर्थन दिया – “ हां भैया ! आप सही कहते हैं, वह बूढ़ा खूसट हमें आगे बढ़ने से मना कर रहा था | बेवकूफ! अगर हम उसकी बात मान लेते तो आज यह सोना हमारे हाथों से निकल जाता |”
“ तुम ठीक कहते हो | छोटे ! अब तो भूख भी लगने लगी है, जाओ पास के गांव से खाना ले आओ |” बड़ा भाई अपने पेट पर हाथ फेरकर बोला “ उसके बाद वापस लौटेंगे ” |
बड़े भाई की बात सुनते ही छोटे भाई का माथा ठनका | वह सोचने लगा कि ‘ दाल में कुछ काला है | बड़ा अभी मेरे से खाना लाने के लिए क्यों कह रहा है, कहीं मेरे जाने के बाद यह सारा धन लेकर भागना तो नहीं चाहता है |’
सोचते ही वह बोला – “ भाई ! मैं बहुत थक गया हूं, खाना आप ले आइये |”
छोटे की बात पर बड़े भाई की तयोरिया चढ़ गयी | उसके दिमाग में भी तुरंत यही बात आयी की ‘ उसके पीछे उसका छोटा भाई सारा धन उड़ा ले जाना चाहता है |’ वह सोच में पड़ गया कि ‘ क्या करें ! यदि वह अभी दोनों में हिस्सों का बंटवारा करता है, तो ऐसे में उसके छोटे भाई का विश्वास उस पर से उठ जाएगा |’
वह बोला – “ छोटे ! मैं भी बहुत थक गया हूं, दो कदम भी चलना मेरे बस की बात नहीं है |”
कहकर वह वही जमीन पर बैठ गया |
छोटा भाई भी उसके पास बैठ गया |
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दोनों में से कोई भी जाने को तैयार नहीं था | धन की चमक ने उनकी बुद्धि नष्ट कर दी थी | दोनों के मस्तिष्क में एक-दूसरे के प्रति दगा के विचार उत्पन्न हो रहे थे | अन्य कोई भी विचार उनके मस्तिष्क में नहीं था |
दोनों उसी प्रकार बैठे रहे | बहुत समय बीत गया | दोनों का भूख के मारे बुरा हाल हो रहा था |
अंत में हार मानकर बड़ा भाई खाना लेने जाने के लिए राजी हुआ |
किंतु छोटे भाई पर विश्वास न होने के कारण उसने जाते समय एक युक्ति भिड़ाई –
वह छोटे से बोला – “ छोटे ! यह दोनों ऊंट भी भूखे हैं, क्यों ना मैं इन्हें अपने साथ ले जाऊं | दोनों को वही बाजार में खाना खिलाऊंगा |”
छोटे ने कहा – “ ठीक है! आप जाइये | मगर यह धन की थैली मुझे दे दीजिये |” छोटे ने चतुराई से काम लिया |
“ ठीक है, यह लो |” बड़े ने उसे थेली सौंप दी |
इस प्रकार बड़े भाई ने दोनों ऊटो को अपने साथ ले लिया फिर वह खाना लाने बाजार की ओर चल दिया |
इधर छोटा भाई मन ही मन यह सोच कर खुश हो रहा था कि “ चलो धन तो मेरे पास है यदि वह भागना भी चाहे तो मुझ पर क्या फर्क पड़ेगा |”
और फिर वह अपने बड़े भाई के आने की प्रतीक्षा करने लगा |
बैठे-बैठे अचानक एक युक्ति उसके दिमाग में आयी कि “ यदि वह अपने बड़े भाई को आते ही गोली मार दे तो यह सारा धन उसका हो जायेगा और फिर वह अपने ऊंट पर सवार होकर वापस लौट जायेगा | तब आनंद भरा जीवन वह गुजारेगा |”
यह सोचकर उसने अपनी बंदूक का निरीक्षण किया | उसमें दो गोलियां थी |
“ उसके लिए तो एक ही काफी होगी |” छोटे में सोचा और मुस्कुरा दिया | फिर वह बड़े के आने की प्रतीक्षा करने लगा वह जानता था कि बड़ा अवश्य ही आयेगा |
और फिर धीरे-धीरे वक्त गुजरने लगा |
मगर बड़ा नहीं आया |
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छोटा यह देखकर मन ही मन प्रसन्न भी हो रहा था कि “ चलो ! अच्छा हुआ, वह नहीं आया, वरना खामखा उसे धन आधा-आधा बांटना पड़ता |”
और फिर शाम तक भी वह नहीं आया |
तब छोटे ने सोचा कि “ चलो ! नहीं आया, अच्छा हुआ, अब उसे भी वापस लौटना चाहिये |”
मगर तभी उसके दिमाग ने कहा – “ क्या बात है? वह आया क्यों नहीं? क्या उसने मेरे साथ कोई चाल चल दी |”
सोचते ही उसने धन की थैली खोल कर देखी तो हैरानी से उसकी आंखें फट गयी |
वह चिल्ला उठा – “ हरामजादा ! कुत्ता ! अभी वह इतना ही कह पाया था कि उसके दिल की धड़कनें रुक गयी | सदमे के कारण वह अपनी जान गवा बैठा |
और बड़ा
वह धीरे-धीरे अपनी सफलता पर मुस्कुराता घर की ओर लौट रहा था | वह अपने हाथ की उस सफाई पर जिसके बल पर उसने अपने छोटे भाई को बेवकूफ बनाया था | गर्व से फूला नहीं समा रहा था |
वह अपनी धुन में मगन बढ़ता ही चला जा रहा था | उसने एक नजर छोटे के ऊंट की ओर देखा और मुस्कुराकर बोला – “ साला ! अपने भाई का ऊंट है, ज्यादा नहीं तो अच्छे दामों पर तो बिक ही जायेगा | बेचारा छोटा सोच रहा होगा कि भाई ऊंट में ही मान जायेगा | मगर उसे नहीं मालूम कि मैं यह ऊंट इसलिए लाया था कि वह मेरा पीछा ना कर सके और मैं सारा धन लेकर फरार हो जाऊं |”
अचानक वह रुक गया | उसने देखा कि कितने ही घुड़सवारो ने उसे चारों ओर से घेर लिया है और उनकी बंदूक उसकी और तनी है | सभी के चेहरों पर ढाठा बंधा है |
वह उन्हें देखते ही समझ गया कि वे डाकू है | अभी उनमें से गरजकर बोला – “ ऐ ! जितना भी माल तेरे पास है, वह हमें दे दे |”
बड़े ने आनाकानी की |
बात हद से ज्यादा बढ़ने लगी तो एक डाकू ने अपनी बंदूक का मुंह खोल दिया |
गोली बड़े के सीने को चीर गयी |
अगले ही पल में लहराकर वह ऊंट से गिर पड़ा | और डाकू उसका सारा माल ऊंट सहित लेकर चंपत हो गये |
बूढ़े की बात सच निकली |
लालच का पिशाच दोनों भाइयों को खा गया |
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