Moral Stories | दो टट्ट | हिंदी में पंचतंत्र की कहानी
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एक व्यापारी के पास दो टटू थे | वह उन पर सामान लादकर पहाड़ों पर बसे गांव में ले जाकर बेचा करता था | एक बार उनमें से एक टटू कुछ बीमार हो गया | व्यापारी को पता नहीं था, कि उसका एक टटू बीमार है | उसे गांव में बेचने के लिए नमक, गुड, दाल, चावल आदि ले जाना था | उसने दोनों टटूओ पर बराबर सामान लाद लिया और चल पड़ा |
ऊंचे-नीचे पहाड़ी रास्ते पर चलने में बीमार टटू को बहुत कष्ट होने लगा | उसने दूसरे टटू से कहा आज मेरी तबीयत ठीक नहीं है; मैं अपनी पीठ पर रखा एक बोरा गिरा देता हूं, तुम यहीं खड़े रहो | हमारा स्वामी वह बोरा तुम्हारे ऊपर रख देगा | मेरा भार कुछ कम हो जाएगा और मैं तुम्हारे साथ चल चलूंगा | तुम आगे चले जाओगे तो गिरा बुरा फिर मेरी पीठ पर रखा जाएगा |
दूसरा टटू बोला – ” तुम्हारा भार ढोने के लिए क्यों खड़ा रहूं, मेरी पीठ पर क्या कम भार लदा है | मैं अपने हिस्से का ही भार दोऊंगा |
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बीमार टटू चुप हो गया | लेकिन उसकी तबीयत अधिक खराब हो रही थी; चलते समय एक पत्थर के टुकड़े से ठोकर खाकर वह गिर पड़ा और गड्ढे में लुढ़कता चला गया | व्यापारी अपने एक टटू के मर जाने से बहुत दु;खी हुआ | वह थोड़ी देर वहां खड़ा रहा फिर उसने उस टटू के बचे हुए बोरे भी दूसरे टटू की पीठ पर लाद दिए | अब तो वह टटू पछताने लगा और मन-ही मन कहने लगा – ” यदि मैं अपने साथी का कहना मान कर उसका एक बोरा ले लेता तो यह सब भार मुझे क्यों दोना पड़ता |”
Moral Of the Story :-
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