New Moral Stories in Hindi – जाग उठा परोपकर – Moral Stories

New Moral Stories in Hindi – जाग उठा परोपकर 

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एक समय की बात है । गंगानगर गांव में राजू नामक एक व्यक्ति रहता था । गांव में आपसी भाईचारा और प्रेम  बहुत था । इसलिए वहां के सभी समुदाय के लोग आपस में मिलजुल कर रहा करते थे ।

राजू नामक व्यक्ति अधेड़ उम्र होने के कारण ‘चाचा नम्बरदार’  के नाम से पहचाने जाते थे । सभी उनका मान-सम्मान और आदर सत्कार किया करते थे ।

उनका अपना मकान गांव की चौपाल पर छोटा-सा था । उसके अंदर आम का एक पुराना पेड़ था । जिनके फल गांव के बच्चे, बूढ़े और जवान सभी खाया करते थे ।

राजू चाचा का स्वभाव कुछ इस प्रकार का था कि वे बच्चों को कुछ ज्यादा ही प्यार किया करते थे ।

राजू चाचा हर साल बरसात के मौसम में जब आम पक जाते थे, तो गांव के सभी बच्चों को विशेष तौर पर आम की दावत दिया करते थे ।

किसी कारणवश पिछले दौ वर्षों से यह परंपरा टूट गई थी ।

बच्चे उनकी इस बात पर बहुत नाराज रहने लगे थे । परंतु वे कर कुछ नहीं सकते थे । क्योंकि राजू चाचा का रौब भी बच्चों पर कम नहीं था ।

पहले साल तो बच्चे उनकी इस हरकत पर – कि चाचा ने एक बार उनको आम की दावत नहीं दी – आम की फसल बर्बाद कर गये ।

लेकिन दूसरे साल जब आम के पेड़ पर बोर आया और आमिया छोटी-छोटी बने लगी – तो बच्चों ने देखा कि चाचा राजू आज गांव में नहीं है ।

तब सब बच्चों ने मिलकर आम के पेड़ पर पथराव कर दिया । उनकी सारी आमिया झाड़ दी ।

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आमिया उठा-उठाकर बच्चे अपने अपने घर ले गये । कुछ ने खायी, और कुछ ने बर्बाद की ।

राजू चाचा को जब इस बात का पता चला तो इन्हें गुस्सा तो बहुत आया, मगर वे अपने गुस्से को पी गये । किंतु फिर वे किसी अच्छे से मौके की तलाश में रहने लगे ।

फिर तिसरे साल आम का मौसम आया ।

राजू चाचा ने अपने पेङ के आमों के अलावा कुछ आम बाजार से भी मंगवाये और फिर गांव में ऐलान कर दिया आज पूरे गांव के बच्चों की उनके घर पर आम की दावत है ।

इस ऐलान को सुनकर बच्चे बड़े खुश हुए । लेकिन वे जितना खुश थे, उससे कहीं ज्यादा हैरान भी थे ।

उस दिन हल्की वर्षा हो रही थी ।

कुछ बच्चे तो डर के मारे नहीं गये थे और कुछ इस डर के मारे चले गए थे कि कहीं चाचा उनके न जाने पर नाराज न हो जायें ।

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फिर भी गांव के लगभग आधे से अधिक बच्चे चाचा राजू के घर आम की दावत पर उपस्थित हुए ।

हल्की हल्की बारिश पड़ रही थी । ठंडी ठंडी हवा चल रही थी । बच्चे मजे से लेकर आम खा रहे थे ।

जब आम समाप्त हो गए और बच्चे को अंगड़ाई आने लगी, तो अनायास ही एक बच्चे की नजर चाचा के घर के एक कोने की तरह उठ गयी- जहां छप्पर के नीचे एक बहुत बड़ा किसी वस्तु का ढेर पुआल से ढका हुआ था । उस बच्चे ने यह बात अन्य बच्चों को इशारे से बतायी ।

तब अंत में एक बच्चे ने डरते-डरते चाचा राजू से पूछ ही लिया – “चाचा जी, इस ढेर में आपने किसके लिए क्या छुपा रखा है ?”

राजू चाचा उसकी बात सुनकर खिलखिलाकर हंस पड़े, और फिर उन्होंने अपनी पिछली गलती पर बच्चों के सामने पश्चाताप किया ।

फिर वे बोले- “सुनो बच्चों…आम तो तुम्हें हर साल मिलेगे ही, लेकिन अगर तुम मेरे मरने के बाद भी आम खाना चाहते हो तो मेरे पीछे आओ ।” चाचा उठकर छप्पर पर बने ढेर की ओर चल पड़े । बच्चे भी उनके पीछे-पीछे चल दिये ।

चाचा ने ढेर के ऊपर से पुआल हटाई और बच्चों से कहा- “बच्चों ! अपने दोनों हाथों में भरकर जितने भी आम ले जा सको, ले जाऔ ।”

बच्चों ने खुशी-खुशी ढेर से आम उठाकर अपने दोनों हाथों में ले लिये ।

उनकी खुशी को देखकर चाचा राजु की आंखों में आंसू छलक आये ।

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वे बोले- “सुनौ बच्चों ! अपने-अपने घर जाकर इन आमों को खाओ और इनकी गुठलियों को अपने-अपने घरों में और गांव भर में बो दो ।”

“और आम के लिए कितने दिनों तक इंतजार करना होगा ?” बच्चों के बीच से एक धीमा स्वर उभरा ।

परंतु उस धीमे स्वर को चाचा राजू ने सुन लिया था ।

तब उन्होंने जाते बच्चों को रोका और अपने बेटे के कंधों पर हाथ रख कर बोले- “जब तक तुम्हारे द्वारा बोये गये पैङौ पर आम आयें, तब तक तुम हमारे पेड़ से हर साल आम खाना, मेरा बेटा तो यही पर तुम्हारे बीच रहेगा । यह तुम्हे हर साल अपने पेड़ के इसी प्रकार आम खिलायेगा । फिर जब तुम्हारे पेङों पर फल आने लगेंगे तो तुम जिंदगी भर अपने पेङों से आम खाना ।”

चाचा राजू की बात सुनकर बच्चे खुश हुए । वे हल्ला-गुल्ला करते उनके घर से बाहर निकल गये। कई ने ‘चाचा जिंदाबाद’ की आवाज बुलंद की और फिर भी अपने-अपने घरों को रवाना हो गये ।

शिक्षा- “ परोपकारी व्यक्ति का स्वभाव यदि कुछ समय के लिए सो जाए तो जल्द ही पुन: जाग जाता है । स्वभाव से मजबूर आदमी अपने स्वभाव को त्याग नहीं पाता, जैसे कि चाचा राजू ! चाचा राजू ने बच्चों को इस बात की भी सीख दी कि यदि तुम यदि भविष्य में सुखी रहना चाहते हो, तो उसके लिए प्रयास आज से शुरू करो ।”

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Written by lokhindi
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