Motivational Stories in Hindi

जीतना है तो ज़िद करो। Motivational Stories Hindi for Success

Motivational Stories

 हर व्यक्ति जीवन में सफल होना चाहता है बिना उचित मार्गदर्शक के व्यक्ति सुषुप्त अवस्था में रहता है, Motivational Stories Hindi for Success जो आपको जीवन में सफल होने हेतु मार्गदर्शक करती है। Motivational Story Hindi सफलता प्राप्ति हेतु विभिन्न तत्वों का विस्तृत विवेचन करने के साथ साथ, असफल होने के विभिन्न कारणों का भी विवेचन किया गया है।

वस्तुतः सफलता, असफलता जीवन रूपी सिक्के के दोनों फलक ही तो हैं। सफलता का जन्म असफलता की कोख से ही होता है, Motivational Stories Hindi  में सफलता की राह में आने वाली परिस्थितियां एवं उनके समाधान की विशेष रूप से चर्चा की गई है।


जीतना है तो ज़िद करो

जीतना है तो ज़िद करो – Motivational Stories Hindi For Success

जो व्यक्ति जीत दर्ज करता है, या सफल होता है, वह अन्य व्यक्तियों से कुछ हटकर तो है। विजेता में कुछ तो खास बात है कि वह जीत गया। भीड से कुछ अलग हटकर करने की उसने ठानी, तभी वह जीत दर्ज करने में कामयाब हुआ।

‘जीत’ के लिए आवश्यक है जीतने की उत्कट इच्छा। वस्तुतः हर विजेता के मस्तिष्क में जीतने की अपरिमित लालसा व्याप्त रहती है।

जीवन में अगर जीतना चाहते हैं, तो जीत के लिए अदम्य लालसा पैदा करें। जीत के लिए उत्कट इच्छा, व्यक्ति में दृढ़ संकल्प पैदा करती है। यह दृढ़ संकल्प ही तो उसमें आत्मविश्वास की लौ जाग्रत करता है। आत्मविश्वास से ही व्यक्ति में मेहनत करने का ज़ज्बा जाग्रत होता है। हर जीत एवं हर सफलता हेतु सर्वभूत केन्द्रित मेहनत की आवश्यकता है।

ज़िद का अर्थ – Motivational Stories Hindi

ज़िद का अर्थ है–अपनी सारी शक्तियों एवं योग्यताओं को जीत हेतु संकल्पित करें। अपनी ज़िद की पूर्ति हेतु पुरुषार्थ करें। ज़िद का अर्थ बच्चों की ज़िद जैसा नहीं, बल्कि किसी ऊँचाई को छूने और किसी सफलता को अर्जित करने हेतु किया गया अदम्य या अटूट संकल्प है। ज़िद का अर्थ, अपनी इच्छा शक्ति को समेटकर, अपनी योग्यता शक्ति एवं काबिलियत से भी बढ़कर, पुरुषार्थ कर, किसी इच्छित सफलता को प्राप्त करने हेतु संकल्पित होना है। किसी भी सफलता हेतु, सर्वप्रथम आवश्यकता है संकल्प (Determination) करने की। यदि आपका संकल्प अटूट और अदम्य और, तो सफलता निश्चित ही मिलेगी।

अदम्य संकल्प के बल परें ही तो निहत्थे स्वतन्त्रता सेनानी, समूचे विश्व में पताका फहराने वाले ब्रिटिश साम्राज्य से, हमारे देश को स्वतन्त्र कराने में सफल हुए। यह ज़िद ही तो थी, महात्मा गाँधी की, पण्डित जवाहरलाल नेहरू की, सरदार पटेल की, भगत सिंह की, चन्द्रशेखर आजाद की एवं स्वतन्त्रता के अन्य महान् शूरवीरों की, जिससे अंग्रेजों को भारत छोड़ना ही पड़ा। संकल्प शक्ति के बल पर ही, असम्भव-सा दिखाई देने वाला कार्य, सम्भव हो सका। मात्र लंगोटी, अंगोछे में रहने वाले गाँधी, अपनी संकल्प शक्ति के बल पर, अंग्रेजों को देश से बाहर निकालने में सफल हो पाए। ज़िद की पूर्ति हेतु अगर सही रूप एवं सही दिशा में प्रयास किया जाए, पुरुषार्थ किया जाए, तो सफलता मिलती ही है।

जिद तो करो …Motivational Stories Hindi

जिद तो करो - Motivational Stories Hindi

जिद तो करो – Motivational Stories Hindi

निश्चय करो, एक विचार बनाओ, मन में दृढ़ प्रतिज्ञ हो, फिर देखो जीत क्यों नहीं मिलेगी। एक निश्चय करने के बाद, रास्ते स्वयं निकलते हैं। कहते भी हैं जहाँ चाह, वहाँ राह। यह चाह ही तो महत्त्वपूर्ण है, आपने मन में ठान ली, तो फिर कोई भी मंजिल कठिन नहीं है। मुझे स्कूल में पढ़ी एक कविता की कुछ पंक्तियाँ याद आती हैं।

“है कौन विघ्न ऐसा जग में,

टिक सके आदमी के मग में।”

यदि आपने एक बार ज़िद कर ली, निश्चय कर लिया तो ऐसा कोई विघ्न नहीं है, जो आपके रास्ते में रुकावट बनकर आपको मंजिल तक पहुँचने से रोक सके। मंजिल जितनी ही दूर हो, आपका निश्चय उतना ही प्रबल होना चाहिए। याद रखें, सफलता के मार्ग में छोटी-मोटी परेशानियाँ/कठिनाइयाँ तो आती ही हैं। सफलता का मार्ग यदि बिना काँटों का हो, सरल हो, तो उस सफलता का मजा ही नहीं आता। संघर्ष ही तो पुरुषार्थ की पहचान कराता है। जीवन भी तो संघर्ष का ही नाम है।

हम अक्सर संघर्षों की तपती धरा से बचने के लिए, शीतलतायुक्त सरल मार्ग की तलाश में, मंजिल से च्युत होकर भटकने लगते हैं। आपकी मंजिल जितनी ऊँची होगी, आपकी महत्त्वाकांक्षा जितनी बड़ी होगी, आपका लक्ष्य जितना उत्कर्ष होगा, आपको उतना ही अधिक संघर्ष करना होगा। निश्चय उतना ही दृढ़ होना चाहिए। आपकी ज़िद उतनी ही पक्की होनी चाहिए। ज़िद के पक्के व्यक्ति के समक्ष हर चुनौती बौनी हो जाती है। जो व्यक्ति संघर्ष करने से नहीं कतराता है, जो परेशानियों से निरन्तर जूझने की क्षमता और कुव्वत रखता है, वही अन्ततः सफल होता है।

कहते हैं-

“No Pain, No Gain!

बिना परेशान हुए, लाभ नहीं मिलता।”

अतः संघर्षों से डरना कैसा? संघर्षों को जीवन का हिस्सा मानकर, सफलता के पथ पर पूर्ण आत्मविश्वास के साथ, पूर्ण दृढ़ता के साथ अग्रसर होएँ, सफलता आपका विजेता की तरह स्वर्णिम फूलों की माला से स्वागत करेगी, अंगीकार करेगी।

जीत का अर्थ क्या है? Motivational Stories Hindi

जीत का अर्थ क्या है - Motivational Story

जीत का अर्थ क्या है – Motivational Stories Hindi For Success

‘जीत’ एक बहुत व्यापक अर्थ वाला शब्द है। वैसे जीत का अर्थ, किसी की पराजय में निहित है अर्थात् ‘जीत’ सापेक्ष है, कोई हारेगा, तभी तो आप जीतेंगे या यह कहें कि किसी को पराजित करने पर ही तो  आपको ‘जीत’ का मजा आएगा। वर्तमान सन्दर्भ में जीत को सफलता का पर्याय माना जा सकता है। जिस तरह से आपका जीतना, किसी की पराजय पर निर्भर है उसी प्रकार वर्तमान में सफलता भी निरपेक्ष नहीं है, बल्कि यह सापेक्ष है। सफलता का अर्थ अपने आस-पास, मित्रों, रिश्तेदारों, एक ही उद्योग एवं व्यापार में सम्बद्ध व्यक्तियों से आगे बढ़ना है। सफलता या जीत का अर्थ, अन्य से श्रेष्ठता प्राप्त करना है। इस बात को अच्छी तरह समझ लेना चाहिए कि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में सफलता का अर्थ श्रेष्ठ होना नहीं, बल्कि अन्य से अधिक श्रेष्ठ होना है।

यह मात्र एक उपदेश ही है कि अन्य की सफलता का हमें स्वागत करना चाहिए। कौन चाहता है कि अन्य व्यक्ति उससे आगे बढ़े? कौन पराजय का आलिंगन करना चाहता है? कौन नहीं चाहता कि वह ही हमेशा जीते? कहीं-न-कहीं हम अन्य को, स्वयं से श्रेष्ठ पाकर आहत होते ही हैं, इसलिए हम कहते हैं कि सफलता सापेक्ष है।  

किसी लक्ष्य की प्राप्ति आज यदि सफलता है, तो यह लक्ष्य, किसी अन्य व्यक्ति/संगठन/संस्था/समुदाय/व्यापार/उद्योग आदि के सन्दर्भ में ही तो तय किया जाता है। किसी लक्ष्य की प्राप्ति तभी तो सफलता मानी जाएगी, जब समान परिस्थितियों में अन्य उस लक्ष्य तक नहीं पहुँच सके एवं आपने वह लक्ष्य प्राप्त कर लिया।

क्या सफलता एक बार की लक्ष्य-प्राप्ति है?

यह प्रश्न कई बार किया जाता है। लक्ष्य बदलते रहते हैं, जब लक्ष्य ही परिवर्तनशील है, तो सफलता को एक बार की लक्ष्य प्राप्ति समझना हमारी भूल है। सफलता एक लगातार चलने वाली प्रक्रिया है, जो बदलती परिस्थितियों में, बदलते वातावरण के अनुसार परिवर्तनशील है।

क्या सफलता का अर्थ धन कमाने से है?

बहुत-से लोग कहते हैं कि जिसने धन कमा लिया या जो आज समाज में धनी लोगों की गिनती में है, वह सफल है। यह सच नहीं है। आज हर धनी व्यक्ति को हम सफल व्यक्ति कह सकते हैं क्या? ऐसे बहुत से व्यक्तियों को आप जानते होंगे, जो बहुत धनी हैं, लेकिन आप उनसे घृणा करते हैं, आपके विचार से वे मानवता के दुश्मन हैं। अतः धन कमाना, सफलता का पर्याय नहीं कहा जाना चाहिए। इसी सन्दर्भ में आप इस बिन्दु पर भी गौर करें कि किसी धनी व्यक्ति को देखकर, हम तो उसे सफल मान सकते हैं, हमारे विचार से वह सफल हो सकता है, लेकिन क्या वह स्वयं को सफल समझता है? धन एक ऐसी वस्तु है, जिसकी लिप्सा, लालसा, धन की वृद्धि के साथ उत्तरोत्तर बढ़ती जाती है। धनी व्यक्ति हमेशा और अधिक धनी बनने की चेष्टा में व्यग्र रहता है।

“सफलता फिर है क्या?

हम किसे सफल मानेंगे?

कौन वास्तव में सफल है?”

सफलता क्या खुशी प्राप्ति की कुंजी है या खुशी सफलता प्राप्ति की कुंजी है? सफलता को कुछ पन्नों में परिभाषित करना बहुत कठिन है। यदि कोई व्यक्ति, अपने द्वारा किए जा रहे कार्य से सन्तुष्ट या प्रसन्न है, तो वह सफल है। सफलता तो परिवर्तनशील है, जिसे आज हमने सफलता माना है, उसका मापदण्ड कल बदल जाएगा। सफलता हमेशा सापेक्षता के सन्दर्भ में आकी जाती रही है। जीत का अर्थ, अन्य से अधिक सफल होना है।

जिद को पूरी करने हेतु तैयारी करें . Motivational Stories Hindi

आपने ज़िद की है तो उस ज़िद को पूरा करने हेतु तैयार हो जाएँ। मात्र ज़िद करने से जीत नहीं मिलती है। जिद करना, एक संकल्प करना है, जिसे पूरा करने हेतु व्यक्ति को बहुत धैर्य से तैयारी करनी होती है। वर्तमान प्रतिस्पर्धा के युग में जीतने के लिए न केवल स्वयं की योग्यता, काबिलियत व ज्ञान में वृद्धि करने की आवश्यकता है, बल्कि अपनी कमजोरियों के आकलन की भी आवश्यकता है। हर व्यक्ति जीतना चाहता है। हर व्यक्ति दूसरे से आगे बढ़ने हेतु प्रयत्नशील है। जीतेगा कौन? जीतेगा वही, जो सबसे श्रेष्ठ होगा। अतः जीतना है, तो स्वयं को सर्वश्रेष्ठ बनाने हेतु यत्न करो। जो सर्वश्रेष्ठ है, जिसमें जीतने की अधिक भूख है, जिसमें टॉप पर पहुँचने की अदम्य ललक है, वही इस युग में अपनी जीत दर्ज कर सकेगा। मात्र ज़िद करने से जीत सुनिश्चित नहीं हो जाती है।

“Dreaming in necessary for a winner, but

executing the dreams to reality is must to win.

विजेता के लिए सपने देखना आवश्यक है, लेकिन

सपनों को हकीकत में बदलना जीत के लिए परम आवश्यक है।”

हर व्यक्ति सपने देखता है। हर व्यक्ति चाहता है कि वह सबसे ऊँची चोटी पर पहुँचे। हर व्यक्ति की ख्वाहिश होती है कि वह अन्य सभी से श्रेष्ठ बने, लेकिन, क्या हर व्यक्ति ऐसा कर पाता है? 

ध्यान रखें, जीत की राह में अड़चनें ही अड़चनें हैं। जीत की डगर बहुत कठिन है। कई बार ‘हार’ भी झेलनी पड़ती है, लेकिन जिसने भी इस ‘हार’ को अपना ‘जीत’ के लिए, एक सबक के रूप में लिया, जिसने भी ‘हार’ को प्रेम से गले  लगाया, लेकिन स्वयं के संकल्प पर हावी नहीं होने दिया, अन्ततः ‘जीत तो उसी की होगी।

अत: जीत की राह में आने वाली रुकावटों से घबराएँ नहीं, उनका सकारात्मक दृष्टिकोण से मुकाबला करें, बाधाओं एवं रुकावटों को दूर करें, लगातार बढ़ते रहने के संकल्प को दोहराते रहें, अपने आत्मविश्वास को टूटने न दें। इस बात को याद रखें कि आपको दिखाई देने वाला आज का हर विजेता, सफल व्यक्ति न जाने कितनी ही बार हारा है, लेकिन चूंकि वह हर बार दोगुने, तिगुने उत्साह से पुन: अपने कर्म में लगा रहा है, इसलिए आज विजेता बन सका है।

अतः तैयार करें स्वयं को अपनी ज़िद, अपना संकल्प पूरा करने हेतु।

अपनी सामर्थ्य/योग्यता के अनुरूप ही जिद करें ! Motivational Stories Hindi

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सामर्थ्य योग्यता के अनुरूप ही जिद करें – Hindi Motivational Stories

इस ज़िद का व्यावहारिक महत्त्व समझे। आप जो ज़िद कर रहे हैं, क्या वह व्यावहारिक है? क्या वह आपकी सामर्थ्य/योग्यता के हिसाब से पूरी होने योग्य है। ज़िद करना, संकल्प करना, लक्ष्य निर्धारित कर लेना, मन में कुछ विशेष करने की ठान लेना, निश्चित ही आपकी चारित्रिक विशेषता को व्यक्त करता है, परिलक्षित करता है, लेकिन यह भी एक विचारणीय बिन्दु है कि क्या आप के द्वारा किया गया संकल्प, आपकी सामर्थ्य, योग्यता के सन्दर्भ में पूरणीय है।

यह कहा जाता है कि असम्भव कुछ भी नहीं। सफल व्यक्तियों में असम्भव को सम्भव करने की सामर्थ्य होती है। यह भी कहा जाता है कि यदि व्यक्ति ठान ले, तो क्या कुछ नहीं कर सकता है। यह सब सच है।

“The difference between the impossible and

the possible lies in a person’s determination. — Tommy Lasorda

असम्भव एवं सम्भव के बीच का अन्तर वस्तुतः

व्यक्ति की इच्छाशक्ति में निहित होता है।  — टॉमी लासोड”

एवरेस्ट पर चढ़ाई शुरू करने से पूर्व, छोटी-छोटी पर्वत श्रृंखलाओं पर विजय प्राप्त करने की आदत डालनी होती है। सीढ़ी पर सबसे ऊपर चढ़ने से पर्व नीचे की सीढ़ी से ही शुरू करना होता है अर्थात् अपनी सामर्थ्य के अनुसार, सर्वप्रथम अपने लक्ष्य का निर्धारण करें, फिर लक्ष्य को बढ़ाते जाएँ। हम यह नहीं कहना चाहते कि सामर्थ्य, योग्यता में वृद्धि नहीं की जा सकती है। निश्चित रूप से की जा सकती है, लेकिन वृद्धि की सीमा होती है एवं सामर्थ्य में वृद्धि शनैः-शनैः ही की जा सकती है। व्यक्ति का सामर्थ्य अकूत है, लेकिन सामर्थ्य वृद्धि दर, आपकी लगन, निष्ठा, मेहनत एवं अन्य कई परिस्थितियों पर निर्भर करती है।

कहने का अर्थ है कि आप अपनी सामर्थ्य वृद्धि अवश्य कर सकते हैं, लेकिन वह शनैः-शनैः ही हो सकती है।

आप द्वारा की गई ज़िद, आपका संकल्प, यदि आपकी सामर्थ्य/योग्यता के अनुरूप उचित नहीं है, तो आपकी ज़िद पूरी नहीं हो सकती है। ज़िद की पूर्ति हेतु आवश्यक है कि व्यक्ति अपनी क्षमता, योग्यता का भी उचित आकलन करे।

जीत के लिए खुद से वादा करें – Motivational Stories Hindi

जीतने के लिए आवश्यक है कि आप स्वयं को इसके लिए तैयार करें। अपनी गलत आदतों को छोड़ने, कुछ अच्छी आदतों को अपनाने हेतु तैयारी करें। जीतने के खातिर स्वयं को सुधारने की, स्वयं की आदतों में कुछ छोटे-छोटे सकारात्मक बदलाव की आवश्यकता होती है। देखिए जब आपने जीतने का संकल्प ले ही लिया है, जीतने की ज़िद कर ही ली है, जीतने की मन में ठान ही ली है, तो उस ज़िद को पूरा करने हेतु, स्वयं को तैयार तो करना ही होगा। दैनिक जीवन में की जा रही बहुत-सी गलतियों को सुधारना होगा। स्वयं को विजेता की तरह तैयार करना होगा। स्वयं के आचरण में जीतने की आवश्यकता के सन्दर्भ में, कुछ परिवर्तन करने होंगे। स्वयं से वादा करना होगा। आपके द्वारा की जा रही वादा खिलाफी हेतु, न अन्य कोई निरीक्षक है, न कोई आपको उसके लिए रोकेगा, न टोकेगा। आप स्वयं ही वादाकर्ता हैं और स्वयं ही पर्यवेक्षक हैं। अतः खुद से किया गया वादा, एक ऐसा संकल्प है, जिसे आप जीतने के लिए कर रहे हैं। स्वयं से किया गया वादा आपकी जीतने हेतु की गई ज़िद की पूर्ति के लिए आवश्यक है। अत: स्वयं से पूर्ण ईमानदारी से वादा करें एवं उसे हर हाल में निभाएँ।

वस्तुतः होता क्या है? हम कोई ‘वादा’ तो कर लेते हैं, लेकिन उसकी पूर्ति के समय में स्वयं से ही बहाने बनाने लगते हैं; जैसे—आज मौसम ठीक नहीं है, कल अवश्य उठ जाऊँगा। आज कुछ काम तो कर नहीं सकेंगा। आज रात कुछ अधिक नींद आई, कल से जरूर उठ जाऊँगा।

इसी तरह के बहुत से बहाने बनाकर हम स्वयं से बेईमानी करते हैं। एक बात ध्यान रखें, जीत निरपेक्ष नहीं है। आज के इस प्रतिस्पर्धा के युग में जीत सापेक्ष है। आपके द्वारा जो समय नष्ट किया जा रहा है, उस समय का समुचित उपयोग अन्य व्यक्ति सकारात्मक रूप से कर रहा है, तो वह आपसे श्रेष्ठतर होगा ना!

जीतने का जज्बा, अनुशासन एवं व्यवहार कुशलता के साथ ईश्वर में आस्था, आपको सफल होने में निश्चित ही मदद करते हैं।

मजबूत इच्छाशक्ति से ही सम्भव है जीत …

Motivational Stories in Hindi

मजबूत इच्छाशक्ति से ही सम्भव है जीत – Motivational Stories in Hindi

बिना इच्छाशक्ति के कुछ भी सम्भव नहीं है। दृढ़ इच्छाशक्ति के बल पर व्यक्ति, असम्भव को भी सम्भव कर सकता है। इतिहास में ऐसे बहुत से उदाहरण मिल जाएँगे, जब व्यक्तियों ने प्रायः असम्भव कार्य को मजबूत इच्छाशक्ति के बल पर सम्भव किया।

व्यक्ति इस संसार में बहुत कुछ पाने की इच्छा तो रखता है, लेकिन दृढ़ इच्छाशक्ति के अभाव में, वह यथोचित प्रयास नहीं कर पाता। अतः उसे पराजय का मुंह देखना पड़ता है। बहुत से व्यक्ति अपनी असफलता/पराजय के लिए भाग्य को कोसते हैं। कुछ लोग थोड़ी-सी सफलता में ही सन्तुष्ट हो जाते

हैं एवं आगे प्रयास नहीं करते हैं। उच्चस्तरीय सफलता, पूर्ण जीत के लिए मजबूत इच्छाशक्ति की आवश्यकता होती है।

अदम्य इच्छाशक्ति की सच्ची कहानी – Motivational Stories Hindi

वर्ष 1883 में अमेरिका में जॉन रैम्बलिंग नाम के इंजीनियर को न्यूयॉर्क एवं लांग आइलैण्ड को जोड़ने वाला भव्य पुल बनाने का विचार आया। इस बारे में जब उसने अन्य इंजीनियर्स से बात की, तो उन्होंने रैम्बलिंग का मजाक

बनाया एवं उसे ऐसा बेवकूफी भरा कार्य नहीं करने हेतु समझाने का प्रयास किया। सभी का कहना था कि यह पुल बनना असम्भव है।

जॉन रैम्बलिंग इस बात से सहमत नहीं थे, उनका हृदय कहता था कि वे यह पुल निश्चित रूप से बना सकते हैं, उन्होंने किसी तरह अपने अड़ियल पुत्र वाशिंगटन को पुल निर्माण के लिए तैयार कर लिया।

दोनों पिता-पुत्र ने रात-दिन एक करके, इस पुल के सैकड़ों नक्शे तैयार किए एवं इस कार्य में आने वाले हर व्यवधान का समाधान ढूँढ़ते हुए आगे बढ़े।

अपूर्व उत्साह एवं लगन से वे इस चुनौतीपूर्ण एवं लगभग असम्भव से कार्य में जुट गए। काम सही तरह से चल रहा था। कुछ ही महीने गुजरे थे कि निर्माण स्थल पर एक दुःखद हादसे में जॉन रैम्बलिंग की मृत्यु हो गई।

उनके पुत्र वाशिंगटन के मस्तिष्क में कुछ ऐसा आघात लगा कि वह अब चलने-फिरने एवं बात करने लायक नहीं रहा। लोग उसके बारे में तरह-तरह की बातें करने लगे। किसी ने भी उसके हौसले की तारीफ नहीं की, दूसरे इंजीनियरों ने कहा कि अब काम समेट लेना चाहिए।

शारीरिक असमर्थता के बाद भी वाशिंगटन हतोत्साहित नहीं हुआ। वह अपंग होने के बाद भी दोगुने उत्साह एवं लगन से अपने पिता के सपने को पूरा करने में जुट गया। उसका शरीर ध्वस्त हो चुका था। अस्पताल में अपने कमरे में लेटे हुए उसके दिमाग में एक अद्भुत विचार कौंधा, उसने अपनी अँगुली हिलाकर, अपनी पत्नी से संवाद करने का तरीका खोज लिया। वह अपनी पत्नी को हाथ की अँगुलियों की थिरकन से यह बताता कि इंजीनियरों को क्या करना चाहिए। ऐसी अवस्था में किसी तरह काम पुनः शुरू हो गया और अगले 13 वर्षों तक वाशिंगटन अपनी पत्नी की बॉह पर अपनी अँगुलियों से संकेत दर्शाकर निर्देश देता रहा। अन्ततः पुल बन गया।

आज वह शानदार ‘ब्रुकलिन पुल‘, अपनी विराटता एवं कारीगरी से देखने वालों को मुग्ध कर देता है। वह हमें बताता है कि अदम्य इच्छाशक्ति एवं लगन के सामने हर परिस्थिति पराजित हो जाती है। साथ ही, वह हमें उन जीवट वाले लोगों के बारे में भी बताता है, जिन्हें दुनिया पागल समझती है। वह उस स्त्री के अपने पति के खातिर प्रेम एवं समर्पण की भी कहानी सुनाता है, जो वर्षों तक अपनी बाँह पर अपने विकलांग पति के सन्देशों को उसकी अँगुली की थिरकन से समझ-समझ कर, इंजीनियरों को बताती रही कि उन्हें क्या करना है? 

यह सच्ची कहानी, अदम्य इच्छाशक्ति के बल पर, असम्भव को सम्भव बनाने का सन्देश देती है।

हमारे दैनिक जीवन में हमारे सामने अनेक छोटी-मोटी बाधाएँ एवं समस्याएँ आती हैं। हम उनसे लड़ने की अपेक्षा चुपचाप हार मानकर बैठ जाते हैं। संसार में ऐसे लाखों लोग हैं, जिन्होंने अत्यन्त विकट एवं विकराल मुश्किलों से उन पर अपनी जीत दर्ज की है। अदम्य इच्छाशक्ति रखने वाले, लगन एवं परिश्रम से अपने सपनों को पूरा करने हेतु तत्पर व्यक्ति को किस्मत भी परास्त नहीं कर सकती।

अदम्य इच्छाशक्ति के बल पर जीत हासिल करने वालों में महादेव डेका की प्रेरणास्पद कहानी, इच्छाशक्ति के बल पर कुछ भी हासिल कर लेने का जीता-जागता प्रमाण है।

हमारे देश के असम प्रदेश में महादेव डेका नाम के एक व्यक्ति शरीर सौष्ठव में अपना नाम कमाने हेतु प्रयासरत थे। अचानक वर्ष 2002 में उनके दिल का ऑपरेशन (ओपन हार्ट सर्जरी) हुआ। तीन महीने तक वह आराम करते रहे। उनकी तमन्ना थी कि वह शरीर सौष्ठव में पूरे विश्व में अपनी पताका फहराएँ। एक दिन उन्हें लगा कि वह बिल्कुल स्वस्थ हैं, उन्होंने डॉक्टरों से सम्पर्क किया। डॉक्टरों ने उनकी जाँच की, तो पाया कि वह पूरी तरह स्वस्थ हैं, उन्हें व्यायाम की इजाजत दे दी गई। मिस्टर डेका ने बहुत कड़ी मेहनत की और विश्व चैम्पियनशिप में अपनी जीत दर्ज करने की ठान ली। फ्लोरिडा में हुई विश्व चैम्पियनशिप में वह मिस्टर यूनिवर्स चुन लिए गए। यह केवल असम के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए गौरव का दिन था।

महादेव से पूछा गया कि जब उसके दिल का ऑपरेशन किया गया, तो क्या वह निराश हो गया था कि अब कभी वह विश्व चैम्पियन नहीं बन पाएगा?

इसका जवाब महादेव ने कुछ इस प्रकार दिया, “नहीं, मैने ठान लिया था कि चाहे कुछ भी हो, मुझे तो विश्व चैम्पियन बनना है। मैं आत्मविश्वास से भरा हुआ था। जैसे-जैसे मैं व्यायाम करता गया, मैं जोश से भरता गया और मुझे लगा कि मैं मिस्टर यूनिवर्स बनने जा रहा हूँ।”

मिस्टर डेका का कहना है कि इच्छाशक्ति, लगन, मेहनत आदि के साथ ईश्वर पर भरोसा रखने वाला हमेशा विजयी होता है।

जीत के लिए सकारात्मक सोच अहम् – Motivational Stories Hindi

जीत के लिए सकारात्मक सोच अहम्

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सकारात्मक सोच एक मानसिक स्थिति, दृष्टिकोण और विचारों की एक अवस्था है। हमारा सकारात्मक दृष्टिकोण, हमें विकास की ओर उन्मुख करता है। हमें आगे, और आगे बढ़ने को प्रेरित करता है। सकारात्मक सोच के व्यक्ति जीवन में नई बुलन्दियों की ओर अग्रसर होते जाते हैं। उनके जीवन में अपार सफलताएँ, अनगिनत ‘जीत’ एवं चारों ओर बेहद खुशनुमा माहौल रहता है। सकारात्मक सोच के व्यक्ति, विपरीत परिस्थितियों में भी सन्तुष्टि का कारण ढूंढ़ लेते हैं। सकारात्मक सोच हमेशा अच्छे परिणाम की आशा करती है। सकारात्मक सोच के कारण आपका व्यवहार उदार होता है।

जीतने के लिए जिस तरह कठिन मेहनत, योग्यता, क्षमता एवं बेहतर कार्यप्रणाली की आवश्यकता होती है, उसी तरह जीत के प्रति आश्वस्त होने के लिए आपको सकारात्मक सोच एवं सकारात्मक चिन्तन की आवश्यकता है। नकारात्मक सोच का व्यक्ति कठिन मेहनत नहीं कर सकता है एवं छोटी-सी समस्या से वह तनाव से घिर जाता है। थोड़ी-सी मुसीबत में भी उसे स्वयं की बर्बादी नजर आने लगती है। नकारात्मक सोच के व्यक्ति को चारों ओर निराशा और असफलता ही नजर आती है।

किसी व्यक्ति की सोच, उसके व्यक्तिगत एवं सार्वजनिक जीवन को सुचारु बनाने में बहुत अहम् भूमिका अदा करती है। अधिकांश व्यक्ति नकारात्मक सोच से घिरे रहते हैं और अधिकांश व्यक्तियों को स्वयं पर विश्वास नहीं होता। वे परिस्थितियों के गुलाम होते हैं। वे स्वयं अपने जीवन में असफल हैं एवं दसरों को भी आगे बढ़ने से रोकने में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते है।

नकारात्मक सोच के लोगों से दूर रहें – Motivational Stories Hindi

आपने एक कहानी सुनी होगी। एक बार एक गाँव में स्कूल के कक्षा आठ के बच्चों में पहाड़ की चोटी पर चढ़कर वापस आने की शर्त लग गई। दस बच्चे शर्त के लिए तैयार हो गए। जैसे ही बच्चों ने चढ़ना शुरू किया, अन्य बच्चे कहने लगे कि इतनी ऊँची पहाड़ी पर नहीं चढ़ा जा सकता। प्यास लग जाएगी। आगे घना जंगल है। पत्थर बारिश में भीगे हुए हैं, फिसल जाओगे। ऐसी बातें सुनकर चढ़ने वाले बच्चे हताश होते रहे और नौ बच्चे तो बीच में ही रुक गए। एक बच्चा चलता गया एवं सकुशल वापस भी आ गया। सभी ने उसकी सफलता का राज जानना चाहा। पता चला कि वह बच्चा बहरा था।

यह कहानी बहुत प्रेरणास्पद है। सकारात्मक सोच रखने वाले व्यक्ति आत्मविश्वास से भरपूर एवं जीवन्त दिखाई देते हैं। उनका मानसिक स्तर, सामान्य व्यक्तियों से उच्च एवं आशावान होता है।

स्वामी विवेकानन्द - Motivational Story

स्वामी विवेकानन्द

एक बार स्वामी विवेकानन्द, एक निर्माणाधीन मन्दिर के पास से गुजर रहे थे, उन्होंने वहाँ पर कार्य कर रहे एक कारीगर से पूछा, “भाई! क्या रह रहे हो? उसका जवाब था, “गधागिरी कर रहे हैं। दीखता नहीं कि इस गर्मी में गधे की तरह मेहनत करनी पड़ रही है। स्वामी विवेकानन्द वहाँ से हँसकर चल दिए। उन्होंने दूसरे कारीगर से पूछा, “भाई! क्या कर रहे हो? उस        ने कहा, स्वामी जी, ईश्वर की कृपा से, मैं इस भव्य मन्दिर निर्माण में अपना तुच्छ योगदान दे रहा हूँ। मैं बहुत भाग्यशाली हूँ कि मुझे यहाँ काम करने का सौभाग्य मिला।” इस तरह एक आदमी की सोच कितनी नकारात्मक थी, जबकि दूसरा व्यक्ति सकारात्मक सोच के कारण बहुत खुश होकर अपना कार्य कर रहा था।

आपकी सोच, आपके आचरण को प्रभावित करती है और आपका आचरण जीवन में आपको नई बुलन्दियों की ओर अग्रसर करता है। जीत के खातिर सकारात्मक सोच बहुत अहम् है।

“We must not share our dreams with negative

people, nor feed your dreams with negative thoughts.”

अर्थात् ‘‘अपने सपनों को नकारात्मक लोगों के साथ मत बाँटिए और न ही नकारात्मक विचारों को अपने सपनों के मध्य आने दें।”

जीत के लिए आत्मविश्लेषण करें ! – Motivational Stories Hindi

आत्मविश्लेषण का अर्थ है स्वयं को जानना, स्वयं की कमजोरियों को जानना। अपनी पराजय/असफलता हेतु उत्तरदायी, स्वयं की कमियों का ईमानदारी से विश्लेषण करना।

अधिकांश व्यक्ति जीतने के लिए संकल्प करते हैं, प्रयास करते हैं। यदि वह असफल हो जाते हैं, तो हताश होकर बैठ जाते हैं। अपनी पराजय/असफलता के लिए भाग्य को दोष देते हैं या परिस्थितियों को या फिर किसी व्यक्ति विशेष को अपनी पराजय हेतु जिम्मेदार मान लेते हैं, लेकिन इस पराजय हेतु वह स्वयं कितने उत्तरदायी हैं, स्वयं उन्होंने क्या गलतियाँ की हैं, स्वयं उसके द्वारा जीत के खातिर की गई तैयारियों में क्या कमी रह गई? इसका आकलन, इसका विश्लेषण वह नहीं करते हैं।

अपनी जीत के लिए, बिना योजना बनाए किए गए प्रयास से सफलता संदिग्ध रहती है। पूर्ण लगन एवं निष्ठा के बिना किए गए प्रयास से जीत दर्ज करना नामुमकिन है। इसके अतिरिक्त, हम अपनी पराजय का ठीकरा दूसरों के सर पर फोड़ते हैं, अपनी असफलता के खातिर किसी अन्य को जिम्मेदार ठहराना उचित समझते हैं।

ऐसा करने से, हमें कोई लाभ नहीं होता। हम स्वयं के प्रति ईमानदार नहीं रहते हैं। हम स्वयं अपनी पराजय को पक्का कर लेते हैं। ‘जीत’ की राह में, पराजय की सीढ़ियाँ आती हैं, लेकिन पराजय के कारणों का आप पूरी ईमानदारी से विश्लेषण करें एवं बिना ठिठके, इन कारणों का निस्तारण करते हुए आगे बढ़े, तो पराजय की ये सीढ़ियाँ आपको ‘जीत’ के दरवाजे तक ले जाएँगी और आप जीत का आलिंगन कर सकेंगे, इसलिए जीत के खातिर आत्मविश्लेषण का अत्यधिक महत्त्व है।

अपनी गलतियों का विश्लेषण करें, जिससे उनकी पुनरावृत्ति न हो। जीत की राह में गलतियाँ होना, एक सामान्य बात है। भूल उसी से होती है, जो कुछ करना चाहता है, लेकिन सफलता के लिए आवश्यक है कि अपनी गलतियों तथा भूलों का विश्लेषण करें। विश्लेषण का उद्देश्य यह रहे कि गलतियों की पुनरावृत्ति न हो। इसके लिए आप निम्न तरीके अपना सकते हैं।

  • सर्वप्रथम स्वयं द्वारा की गई भूलों/गलतियों को सही तरीके से परिभाषित करें। यह समझें कि आपके द्वारा की गई भूल की प्रकृति क्या है? भूल का कारण क्या है? हमारी याददाश्त बहुत कमजोर होती है। अत: कुछ ऐसा तरीका ढूढ़े कि स्वयं द्वारा की गई गलतियाँ/भूलों को आप भूला न दें। आप एक डायरी में ऐसी गलतियों को नोट कर लें एवं उन पर बार-बार गम्भीरता से चिन्तन करें, जिससे वे गलतियाँ मस्तिष्क में बनी रहें एवं हम उन्हें दोहराएँ नहीं।
  • स्वयं के द्वारा की गई गलतियों/भूलों को आप पूरी ईमानदारी एवं सकारात्मक दृष्टिकोण से स्वीकार करें। अपनी असफलता हेतु अन्य किसी को जिम्मेदार ठहराने का प्रयास न करके, स्वयं की कमियों, स्वयं के द्वारा की गई भूलों, एवं कोताही का आकलन ईमानदारी से करें। आपका यह चिन्तन आपको की गई गलतियों/भूलों की पुनरावृत्ति करने से रोक सकेगा।
  • ऐसा सुप्रयास करें, स्वयं को इतना सतर्क रखें कि भूल होने ही न पाए। आप समस्या के समाधान की अपेक्षा समस्या को पैदा ही न होने दें। आपका ऐसा प्रयास होना चाहिए कि भूल हो ही नहीं। इसका अर्थ यह नहीं है कि भूल होना कोई असामान्य बात है, या भूल होने का अर्थ असफल होना है। वस्तुत: सफलता की राह में भूल या गलतियाँ एक सामान्य बात है। इसके प्रति आप जितने अधिक जागरूक होंगे, उतनी ही इसमें कमी आ सकेगी।
  • अन्तिम, लेकिन सबसे महत्त्वपूर्ण बिन्दु है, गलती या भूल होने पर उसे सुधारने में देरी न करना। ऐसी किसी स्थिति में शुरू से पुनः प्रारम्भ करने की अपेक्षा गलती को तुरन्त सुधारकर आगे बढ़ना अधिक उचित होता है। अपनी भूल को सुधारने की पहल तुरन्त करें। यह बात अच्छी तरह समझ लें कि भूल तो होगी ही, लेकिन आपने जितनी शीघ्रता से अपनी भूल का निराकरण कर दिया, आप उतने ही शीघ्र ‘जीत’ के करीब पहुँच जाते हैं। गलतियाँ होना, भूल होना, सफलता की राह में सामान्य घटना है, लेकिन आप इस घटना से कैसे रू-ब-रू होते हैं, कैसे निबटते हैं? इसी निर्णय को लेने की क्षमता/योग्यता पर 80% सफलता निर्भर करती है।

जीत के लिए औसत से ऊपर उठे – Motivational Stories Hindi

जीतने के खातिर आवश्यक है कि हम बेहतर हों। बेहतर का अर्थ है, हम अन्य से श्रेष्ठ हों अर्थात् औसत व्यक्ति से ऊपर उठे। स्वयं को बेहतर बनाने का प्रयास करें। स्वयं का आकलन अन्य की तुलना में करें। जंग में जीत उसी की होती है, जो स्वयं को अन्य से श्रेष्ठतर बना सके। आप द्वारा की गई मेहनत, कार्य करने की धुन, सफल होने की लिप्सा आदि इतनी होनी चाहिए कि अन्य व्यक्ति आपके बराबर पहुँच ही न सकें।

सर्वश्रेष्ठ बनने की चाहत का अर्थ सर्वश्रेष्ठ के अनुरूप स्वयं को कड़ी मेहनत करने के लिए तैयार करना है। बहुत से व्यक्ति बहुत बड़ा लक्ष्य सामने रखकर चलते हैं, लेकिन उनका प्रयास उस लक्ष्य के अनुरूप नहीं होता है। कड़ी मेहनत की आदत डालें, समय का अपव्यय न होने दें। हम बहुत से ऐसे व्यक्तियों को जानते हैं, जो समय की कमी का रोना रोते हैं, लेकिन यदि उनकी दिनचर्या को खंगालें, तो वे अपने समय का अत्यधिक अपव्यय करते हैं। यह एक औसत व्यक्ति का आचरण है। आपको ‘औसत से ऊपर उठना होगा।

आप भी ऐसे बहुत से व्यक्तियों से परिचित होंगे, जो थोड़ी-सी भी समस्या आने पर अपना आपा खो बैठते हैं। तनाव में आ जाते हैं। जिस काम को हर सम्भव पूरा करने का पहले दम्भ भरते थे, उसे क्रोध में आकर त्याग देते हैं।

ऐसा नहीं है कि उनमें सामर्थ्य की कमी है या वे योग्यता नहीं रखते, लेकिन स्वयं की आदतें, धैर्यहीनता, व्यावहारिक ज्ञान की कमी आदि के कारण वे लक्ष्यहीनता का शिकार हो जाते हैं एवं दिशाहीन होकर भटक जाते हैं। स्वयं को बेहतर बनाने का अभिप्राय हर क्षेत्र में स्वयं को बेहतर बनाना है। कठिन मेहनत से, स्वयं की कमजोरियों एवं खराब आदतों पर विजय प्राप्त करने से अपनी योग्यता एवं सामर्थ्य में वृद्धि करना सम्भव हो सकता है।

औसत व्यक्ति, एक साधारण जीवन जीता है। वह न तो जीतने के प्रति लालायित होता है और न जीतने की इच्छा रखता है, उसमें विजेता बनने हेतु आवश्यक मेहनत करने की लगन भी नहीं होती है। आपको यदि जीतना है, तो औसत से ऊपर उठना होगा, स्वयं को बेहतर बनाना होगा।

 नरेन्द्र मोदी – Motivational Stories Hindi

एक अत्यन्त साधारण परिवार में जन्म लेकर भारत जैसे विशाल लोकतान्त्रिक देश का लोकप्रिय प्रधानमन्त्री बनना सभी के लिए सम्भव नहीं है, इसके लिए जिन गुणों की आवश्यकता होती है, वे गुण कुछ गिने-चुने दृढ़ प्रतिज्ञ व्यक्ति ही अर्जित कर पाते हैं। जी हाँ! मैं बात कर रहा हूँ 17 सितम्बर, 1950 को गुजरात के वडनगर में जन्मे नरेन्द्र मोदी की।

अपने बचपन में अनेक विषमताओं एवं विपरीत परिस्थितियों का सामना करने वाले नरेन्द्र मोदी ने राजनीतिशास्त्र विषय में एमए की पढ़ाई पूरी की, उन्होंने अभावों के बीच रहते हुए भी अपने जीवन-समर को सदैव एक योद्धा-सिपाही की तरह लड़ा। उन्होंने अपने उदान्त चरित्र बल एवं साहस से अपने तमाम अवरोधों को अवसर में परिवर्तित कर दिया। उन्होंने कॉलेज के दिनों में कठोर संघर्ष एवं दक्षण मन:ताप से घिरे नरेन्द्र मोदी के चरित्र में अद्भुत दृढ़ता का समावेश हुआ। यही कारण है कि आज तक वे अपना कदम एक बार आगे बढ़ाने के बाद फिर पीछे मुड़कर नहीं देखते। जीवन में सफलता प्राप्त करने के खातिर वे स्पष्ट दृष्टि, अपने लक्ष्य का स्पष्ट निर्धारण, कठोर एवं ईमानदार अध्यवसाय को अत्यन्त आवश्यक मानते हैं।

गुजरात के सर्वाधिक सफल मुख्यमन्त्री के रूप में उन्होंने इस राज्य को भारत का सबसे अधिक विकास करने वाला राज्य बनाया, जिसके कारण उनकी चर्चा देश में ही नहीं, बल्कि दुनिया भर में हुई। भारत के लोगों ने पूरे भारत को ही गुजरात जैसा विकसित करने की जिम्मेदारी देते हुए नरेन्द्र मोदी को देश का प्रधानमन्त्री निर्वाचित किया।

युवावस्था में अपने भाई के साथ चाय की दुकान चलाने वाले नरेन्द्र मोदी आज देश के सर्वाधिक लोकप्रिय राजनेता हैं। मजबूत इच्छाशक्ति, कठिन परिश्रम, दूर दृष्टि एवं लगन के दम पर एक साधारण व्यक्ति से प्रधानमन्त्री के प्रतिष्ठित पद पर पहुँचने वाले नरेन्द्र मोदी आज युवा-वर्ग के लिए अक्षय प्रेरणा के स्रोत बन गए हैं।

विजेता बनने हेतु अनिवार्य बिन्दु – Motivational Stories Hindi
  • यदि आप विजयी होना चाहते हैं, सफलता पाना चाहते हैं, तो यह समझ लें कि विजय-पथ संघर्षपूर्ण है। सफलता/विजय, प्राप्ति की राह आसान नहीं है। इसके लिए आपको बहुत धैर्य एवं संयम से कठोर मेहनत करनी होगी।
  • विजयी होने के लिए आपको योजना बनाकर अपने लक्ष्य की ओर बढ़ना होगा। आपका लक्ष्य भी व्यावहारिक होना चाहिए। छोटे-छोटे लक्ष्य बनाकर आगे बढ़ना श्रेयस्कर होता है। छोटी-छोटी सफलताएँ, व्यक्ति को आगे बढ़ने के खातिर उत्साहित/प्रोत्साहित करती हैं। इससे व्यक्ति में आत्मविश्वास जाग्रत होता है।
  • जीतने की चाह रखने वालों में आत्मविश्वास के साथ-साथ, तीव्र इच्छाशक्ति, कठिन मेहनत करने का ज़ज़्बा एवं धैर्य की आवश्यकता होती है। सफल व्यक्ति बहुत धैर्यवान एवं आत्मविश्वास से लबालब भरे होते हैं।
  • सफलता की राह में, जीत के पथ में, असफलता की कई खाइयाँ आती हैं। असफलता की खाइयों को आपको बिना डरे हुए, बिना रुके हुए, पार करना है।
  • विजय पथ पर चलने वाला राही, कई भूल करता है, कई गलतियाँ करता है। यह एक व्यावहारिक स्थिति है। मुख्य बात यह है कि आप कैसे इन भूलों का सामना करते हैं? सर्वप्रथम यह समझ लें कि जो व्यक्ति योजना बनाकर, दूरदर्शिता से काम करता है वह बहुत कम गलतियाँ करता है। सही सोच से, आने वाली कठिनाइयों एवं समस्याओं के सन्दर्भ में पूर्व में ही चिन्तन/मनन करने से कम-से-कम त्रुटियाँ होती हैं। फिर भी गलतियाँ/भूल/त्रुटियाँ होना एक सामान्य बात है, जो होगी ही। आप इन गलतियों से सबक लें एवं भविष्य में इनकी पुनरावृत्ति न हो, ऐसा । सुनिश्चित करें।
  • विजयी पथ के राही के लिए स्वयं पर अटूट विश्वास रखना एवं आशावादी होना आवश्यक है। असफलताओं से भयभीत होकर, न तो आत्मविश्वास का साथ छोड़ना चाहिए और न ही निराश होना चाहिए।
  • कई बार शुरूआत गलत हो जाती है, तो ऐसी स्थिति में पीछे हटने की आवश्यकता नहीं है, बल्कि उसी समय से एक नई शुरूआत करें। गलती के खातिर, स्वयं को अपने भाग्य को कोसना नहीं चाहिए। ऐसी भूलें/गलतियाँ हो जाती हैं, तभी तो कहा जाता है कि विजेता का पथ संघर्षपूर्ण होता है।
  • स्वयं को न तो कोसे और न ही किसी अन्य व्यक्ति की शिकायत करें। असफलता के लिए स्वयं को भाग्यहीन समझना भी गलत है। साहसी बनें। सकारात्मक सोचें। सकारात्मक सोच में सफलता का मार्ग सुगम होता है।
  • दुःखी न हों। यदि आप आज असफल होते हैं, तो कल सफल भी होंगे ही, इसी विश्वास से आगे बढ़ते रहें। आत्मविश्वास, साहस, दृढ़ इच्छाशक्ति, कड़ी मेहनत आदि से हर असम्भव-सा दीखने वाला कार्य भी सम्भव हो जाता है।
  • चिन्ता न करें अपनी सफलता के प्रति आशंकित न रहें। चिन्तन करें। स्वयं के द्वारा उठाए गए कदमों की स्वयं समीक्षा करें। सकारात्मक सोच के व्यक्तियों की राय ली जा सकती है। यह आवश्यक नहीं कि आप किसी की राय को हू-ब-हू मान लें। आप उस राय में अपने अनुसार परिवर्तन/परिवर्द्धन कर सकते हैं। उचित चिन्तन आपकी सफलता का मार्ग प्रशस्त करता है।
  • नकारात्मक सोच के व्यक्तियों से दूरी बनाए रखें। ऐसे व्यक्ति स्वयं अपने जीवन में असफल होते हैं तथा सफलता की राह में अग्रसर व्यक्तियों को बिना माँगे अपनी राय देकर हतोत्साहित भी करते हैं।

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Written by lokhindi
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