Motivational thoughts in Hindi – प्रेरक विचार हिंदी में
Motivational Thoughts in Hindi
Best Motivational thoughts in Hindi for students / जीवन में सफल होने हेतु सबसे अच्छे प्रेरक विचार हिंदी में, ज़िन्दगी में आगे बढ़ने हेतु या उन्नति के लिए Motivational thoughts (प्रेरक विचार) जो आपकी जीत के प्रमुख पड़ावों को पार करने में आपकी मदद करेंगे!
Contents
लक्ष्य निर्धारण – Motivational Thoughts in Hindi
बिना लक्ष्य निर्धारण के व्यक्ति इधर-उधर भटकता रहता है, जब तक आपको यह पता नहीं है कि आपकी मंजिल क्या है? आप क्या प्राप्त करना चाहते हैं? आपकी आकांक्षा क्या है? तब तक आप द्वारा की गई कोशिश, बिना दिशा ज्ञान के चलने वाली नौका के समान है। ऐसी नौका का नाविक बस पतवार चलाता रहता है। वह कहाँ पहुँच गया या वापस वहीं आ गया, जहाँ से चला था, इसका उसे कुछ पता ही नहीं रहता।
अपना लक्ष्य तय करने के बाद से ही व्यक्ति उस लक्ष्य प्राप्ति हेतु गम्भीरता से प्रयास करने लगता है। अनेक व्यक्ति अपने सामने बहुत बड़ा लक्ष्य रखकर, उस लक्ष्य प्राप्ति हेतु पूरी लगन एवं निष्ठा से स्वयं को झोंक देते हैं। इनमें से कई व्यक्ति अपने लक्ष्य की प्राप्ति भी कर लेते हैं, जबकि कुछ असफल भी हो जाते हैं।
हमारा मानना है कि यदि सम्भव हो, तो अन्तिम बडे लक्ष्य की अपेक्षा छोटे-छोटे लक्ष्य निर्धारित कर लेने चाहिए। मान लो आप किसी बड़े लक्ष्य की प्राप्ति हेतु दो वर्ष देना चाहते हैं, तो आप अपने लिए 6-6 माह के लिए लक्ष्य निर्धारित कर लें और इन लक्ष्यों को प्राप्त करने में आने वाली समस्याओं एवं कठिनाइयों का स्वयं आकलन करें, समीक्षा करें। अपने प्रयासों का विश्लेषण, समीक्षा और अपनी कमियों का ज्ञान अगले लक्ष्य की प्राप्ति में अत्यधिक मददगार होता है।
एक बात का और भी ध्यान रखें। यह एक व्यावहारिक बात है कि लक्ष्य, आपकी योग्यता, क्षमता के अनुरूप हो, इसका अर्थ यह नहीं है कि हम अपनी योग्यता, क्षमता में वृद्धि नहीं कर सकते। अपनी योग्यता, क्षमता में वृद्धि निश्चित रूप से की जा सकती है, लेकिन इस हेतु जिन साधनों की आवश्यकता है, उनके सन्दर्भ में निर्णय करें। एक और महत्त्वपूर्ण बिन्दु यह है कि जितना बड़ा आपका लक्ष्य होगा, आपको उतनी ही अधिक मेहनत करनी होगी। बड़े लक्ष्य की प्राप्ति हेतु किया गया प्रयास भी उतना ही वृहत् होना चाहिए।
- लक्ष्य निर्धारण करने के बाद ही आप उस लक्ष्य की प्राप्ति हेतु अपनी योग्यता और क्षमता को एक निश्चित दिशा में प्रयुक्त करना शुरू करते हैं।
- लक्ष्य निर्धारण से आपको एक निश्चित दिशा में कार्य करने की प्रेरणा मिलती है।
- लक्ष्य निर्धारण से तात्पर्य यह है कि आप में उस लक्ष्य को प्राप्त करने की इच्छाशक्ति और आत्मविश्वास है।
- लक्ष्य निर्धारण करने के बाद ही आप आत्मविश्लेषण कर, स्वयं को उस लक्ष्य प्राप्ति हेतु तैयार करते हैं और स्वयं को अनुशासित कर, लक्ष्य प्राप्ति के पथ पर अग्रसर होते हैं।
- लक्ष्य निर्धारण के बाद आप योजना बनाकर बहुत समझदारी से, मेहनत से लगन एवं निष्ठा से उस लक्ष्य को प्राप्त करने में जुट जाते हैं।
- लक्ष्य की प्राप्ति से आपका आत्मविश्वास बढ़ता है, स्वयं के प्रति सम्मान बढ़ता है, स्वयं की क्षमता एवं योग्यता पर विश्वास बनता है। आप में और अधिक संघर्ष करने की लौ जागती है।
अत: लक्ष्य निर्धारण बहुत महत्त्वपूर्ण है, यह जीत की राह का अहम् पड़ाव है।
संघर्ष का दौर- Motivational Thoughts in Hindi
लक्ष्य तय करने के बाद, शुरू होता है आपका संघर्ष का दौर। आपने जो मंजिल तय की है, उसे प्राप्त करने हेतु आप अपनी पूर्ण शक्ति और लगन के साथ जुट जाते हैं। यह वह दौर है, जिसमें व्यक्ति स्वयं की योग्यता एवं क्षमता का आकलन करता है। यह ऐसा दौर होता है, जिसमें व्यक्ति स्वयं की इच्छाशक्ति, अपनी मेहनत करने की क्षमता एवं स्वयं के गुणों को ऑकता है। इस दौर में व्यक्ति को स्वयं की कमियों तथा अक्षमताओं का ज्ञान होता है।
होता यह है कि व्यक्ति जोश-जोश में लक्ष्य निर्धारित कर लेता है। वह बहुत उत्साह एवं उल्लास से सोच लेता है कि वह इस लक्ष्य को तो हर परिस्थिति में प्राप्त करके ही रहेगा, लेकिन जब संघर्ष का दौर और स्वयं की कुव्वत को ऑकने का मौका आता है, तो पता चलता है कि वह कहाँ पर है, जिस कार्य को वह बहुत आसान समझता था, वही उसे बहुत कठिन जान पड़ता है।
कुछ व्यक्ति संघर्ष के दौर में शुरू के कुछ दिनों में बहुत अनुशासन में, बहुत गम्भीरता से प्रयास करते हुए देखे जाते हैं, लेकिन बाद में वे बिल्कुल ढीले हो जाते हैं एवं निष्क्रिय होकर, अपने लक्ष्य प्राप्ति अभियान से उन्मुख होकर, उदासीन से बैठ जाते हैं।
यह कठिनाइयों और समस्याओं से मुकाबला करने का दौर है। इस दौर में बहुत आत्मविश्वास और दृढ़ इच्छाशक्ति की आवश्यकता होती है।
यह एक ऐसा दौर है, जब आपको बहुत अनुशासित रहकर, धैर्यपूर्वक, पूर्ण लगन एवं निष्ठा से परिश्रम करते हुए शनैः-शनै: अपनी मंजिल की ओर आगे बढ़ना है।
इस दौर में आने वाली कठिनाइयों से घबराना नहीं है। आपको सकारात्मक दृष्टिकोण से आशावादी होकर आगे बढ़ना है।
छोटी-मोटी असफलताएँ आपको विचलित न कर दें, इसका ध्यान रखें। विजय पथ पर, कई बार पराजय होती है, लेकिन जो पराजित होकर बैठ गया, वह कभी विजेता नहीं बन सकता है।
असफलताओं से सीखें एवं अपनी कमियों को दूर करें। पुनः प्रयास करें। सफल होंगे ही।
यह संघर्ष का दौर एक कसौटी है, जिसमें आप स्वयं को परखते हैं, स्वयं को आँच में तपाते हैं एवं स्वयं में निखार लाते हैं। यह दौर स्वयं को बेहतर बनाने का, स्वयं को निखारने का, स्वयं को परखने का एवं आत्मविश्लेषण का शानदार दौर है।
जीत का दौर – Motivational Thoughts in Hindi
यह वह समय है, जब आप निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त कर चुके होते हैं, इस दौर में आप हर्ष, उल्लास, आत्मविश्वास से भरे होते हैं। आप स्वयं की योग्यता/क्षमता पर नाज कर रहे होते हैं। यह दौर विजेता की तरह खुश होने का, गर्व करने का है। जीवन में जीत दर्ज करना एक महत्त्वपूर्ण पड़ाव है, जो आकस्मिक नहीं मिलता, इसके लिए बहुत त्याग और तपस्या की आवश्यकता होती है। व्यक्ति को अपनी जीत का जश्न अवश्य मनाना चाहिए। जश्न मनाने का अर्थ, सार्वजनिक रूप से किसी पार्टी आदि से नहीं, बल्कि अपने ‘जीत’ के मार्ग में आने वाली समस्याओं एवं आपके द्वारा उनका किए गए निराकरण से सम्बन्धित अनुभवों को अपने ही कुछ खास मित्रों एवं परिवारजनों के साथ बॉटने से है। यह जश्न आपको आगे बढ़ने को प्रेरित करता है। अपने मित्रों एवं परिवारजनों की बधाइयाँ आपको और ऊँचे लक्ष्य प्राप्त करने को प्रेरित करती हैं।
इस शानदार, हर्ष एवं आनन्द से भरपूर दौर में आप स्वयं को आत्मविश्वास से ओत-प्रोत पाते हैं। आप में कुछ और बड़ा कार्य करने की इच्छाशक्ति जाग्रत होती है। यह जीत का दौर आपको और अधिक बड़े लक्ष्यों को हासिल करने हेतु प्रेरित करता है।
जीत बरकरार रखने का दौर- Motivational Thoughts in Hindi
जीत हासिल करने के बाद का यह दौर बहुत महत्त्वपूर्ण दौर है। जीवन में जितना महत्त्व ‘जीत’ का है, उससे भी अधिक महत्त्व इस जीत को बरकरार रखने का है।
एक ऊँचाई प्राप्त करने के बाद, उससे और ऊपर चढ़ना तो हमें अच्छा लगता है, लेकिन उस स्तर से नीचे यदि उतरना पड़े, तब बहुत पीड़ादायक स्थिति बन जाती है।
आपने बहुत लगन, निष्ठा, और मेहनत से एक स्तर को पार किया है। एक जीत दर्ज करके, एक मंजिल तय की है। अब आपका प्रयास न केवल उस स्तर को बरकरार रखने का होना चाहिए, बल्कि उस स्तर से ऊपर के स्तर को या नई बुलन्दियों को तय करने का होना चाहिए।
जब तक आप नई बुलन्दियों को छूने हेतु प्रेरित नहीं होते, तब तक आपको प्राप्त ऊँचाई को खोने का डर बना रहेगा। अतः आवश्यक है कि आप अपनी इच्छाशक्ति को और आगे बढ़ने हेतु बनाए रखें।
याद रखें, प्रतिस्पर्धा के इस युग में, हर व्यक्ति दूसरे से आगे बढ़ना चाहता है। आपकी तरह, आपके प्रतिद्वन्द्वी भी नई बुलन्दियाँ छूने हेतु, नई ऊंचाइयों पर पहुँचने हेतु तत्पर हैं, प्रयासरत हैं। आपको सजग रहना है, स्वयं को और आगे बढ़ाने हेतु प्रेरित करना है। जो स्तर आपने प्राप्त कर लिया, वह हर स्थिति में बरकरार रहे, इसके लिए लगातार प्रयास करना नितान्त आवश्यक है।
लक्ष्य का पुनः निर्धारण – Motivational Thoughts in Hindi
आपने जो सफलता अर्जित की है, वह बहुत महत्त्वपूर्ण है। अपनी जीत पर आप स्वयं गर्व महसूस करते हैं, अच्छी बात है, लेकिन जैसा हमने स्पष्ट किया है, सफलता का दौर, एक ऐसा दौर है, जो लगातार आपका ध्यान चाहता है। बहुत से व्यक्ति, एक शिखर छूने के बाद सन्तुष्ट होकर, कुछ निष्क्रिय से हो जाते हैं। ऐसे व्यक्ति कुछ दिनों बाद अन्य लोगों से पिछड़ जाते हैं। सफलता कोई मंजिल नहीं, बल्कि सापेक्षिक रूप से अन्य से आगे बढ़ना है।।
अपने लक्ष्य का पुनः निर्धारण करें एवं उस लक्ष्य की प्राप्ति हेतु प्रयास शुरू करें, जुट जाएँ। स्वयं की सारी शक्तियों, योग्यताओं एवं क्षमताओं को एकत्रित कर उस लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु जुट जाएँ। पुनः वही दौर शुरू होगा।
जीतने के लिए खेल-भावना – Motivational Thoughts in Hindi
आपने क्रिकेट के कई मैच टीवी पर या क्रिकेट के मैदान पर देखे होंगे। हर व्यक्ति अपने देश की टीम को जिताना चाहता है। टीवी से चिपके हुए, हमारे देश में ही नहीं, विदेशों में भी लोग क्रिकेट के दीवाने हैं।
दर्शकों में कभी सन्नाटा छा जाता है, कभी तालियों से मैदान पूँज उठता है। कभी दर्शक उछलते देखे जाते हैं, तो कभी अपनी टीम के किसी खिलाड़ी के शीघ्र आउट होने से उनके चेहरे पर मायूसी छा जाती है।
आपने कभी इन खिलाड़ियों की मनोस्थिति और मानसिकता के बारे में सोचा है? खिलाड़ी किसी भी देश का हो वह अपनी टीम को, अपने देश को जिताने में अपनी पूरी ताकत, योग्यता, क्षमता, सब झोंक देता है। वह अपनी टीम को विजय दिलाने के लिए पूरी एड़ी-चोटी का जोर लगा देता है।
हर खिलाड़ी अपनी टीम को जिताने के लिए सर्वश्रेष्ठ प्रयास करता है, यदि वह बॉलर है, तो वह यही सोचकर बॉलिंग करता है कि इस बॉल पर बैट्समैन अवश्य आउट होना चाहिए। वह अपनी सारी कुशलता/दक्षता से बॉलिंग करके बैट्समैन को आउट करना चाहता है।
यदि वह बैट्समैन है, तो हर बॉल पर रन बनाने, चौका, छक्का लगाने हेतु प्रयास करता है। इस हेतु, अपनी पूरी योग्यता, क्षमता का प्रयोग करता है।
फिल्डिग करने वाला खिलाड़ी, किसी भी बॉल को अपने पास से न निकलने देने हेतु संकल्पित होता है एवं हर कैच वह लेना चाहता है। एक-एक रन को रोकने हेतु अपना पूरा दम-खम लगा देता है।
इन खिलाड़ियों से हमें जीवन में जीतने हेतु बहुत महत्त्वपूर्ण व्यावहारिक ज्ञान सीखने को मिलता है। हम इनसे सीखते हैं कि जीवन हर पल संघर्ष करने का नाम है। यहाँ दुश्मनी जैसी कोई बात नहीं है। हर खिलाड़ी का ध्यान अपनी जीत पर है। हर खिलाड़ी पूरे दम-खम से जीतने हेतु संघर्ष करता है। मन में हार का डर रखकर कभी संघर्ष नहीं किया जा सकता।
आप एक और महत्त्वपूर्ण बिन्दु पर ध्यान दें-
किसी भी मैच का एक परिणाम होता है, जीत या हार। हार की स्थिति में, अनेक जगह चर्चाएँ होती हैं। इस मैच में विराट, रोहित, शिखर कोई भी नहीं चल पाया। बॉलर ने भी अपना काम नहीं किया। चहल ने एक ही ओवर में इतने अधिक रन दे दिए। बहुत आक्षेप लगते हैं, बुराइयाँ भी मिलती हैं, आलोचनाएँ भी होती हैं। तो क्या वे लोग हारकर घर बैठ जाते हैं? क्या यह सोचकर अगला मैच नहीं खेलते कि पिछला मैच हार चुके हैं, नहीं न?
वे फिर खेलते हैं, और जीतते हैं। पुनः स्वयं को साबित करने में जुट जाते हैं। सारी आलोचनाओं और आक्षेपों के बाद भी वे हार नहीं मानते। पूर्ण आत्मविश्वास, दृढ़ इच्छाशक्ति से पुनः जूझते हैं एवं अपने देश को जीत दिलाते हैं।
विपरीत परिस्थितियों का डटकर सामना करें-
विषम परिस्थितियाँ हर मनुष्य के जीवन में आती ही हैं। व्यग्रता और उद्विग्नता की मनोस्थिति में सही निर्णय लिया जाना सम्भव नहीं होता है। प्रतिकूल एवं विषम परिस्थितियों में मनुष्य घबरा जाता है और ऐसी स्थिति में किए गए प्रयास प्रायः असफल हो जाते हैं।
आवेश एवं अवसाद, दोनों ही मनुष्य को व्यग्रता की ओर धकेलते हैं। ऐसी अवस्था में लक्ष्यों को पूरा कर पाना, उचित कदम उठाकर, सही दिशा में अग्रसर होना यदि असम्भव नहीं है, तो बहुत कठिन अवश्य है। विपरीत परिस्थितियों में मनुष्य अपना सन्तुलन खो बैठता है, जिससे कई बार वह उपहासास्पद स्थिति में पहुँच जाता है। मनुष्य को विपरीत परिस्थितियों में घबराना नहीं चाहिए। मनुष्य को पुरुषार्थ और, पूरे आत्मविश्वास के साथ, इन परिस्थितियों का डटकर सामना करना चाहिए, जो व्यक्ति ऐसी विषमताओं में अपना सन्तुलन बनाए रखने में सक्षम होते हैं, वे ही व्यक्ति अन्ततः सफल होते हैं, विजेता कहलाने के योग्य होते हैं। इसका बहुत अच्छा उदाहरण भारतीय महिला मुक्केबाज एवं ओलम्पिक कांस्य पदक विजेता मैरीकॉम की सफलता है।
भारत के पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में भूमिहीन किसान माता-पिता के यहाँ जन्मी मैरीकॉम की कहानी अथक् संघर्ष और मुक्केबाजी के प्रति न मुरझाने वाले जोश की कहानी है। उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति एवं आक्रामकता ने राजनीति के दाँव-पेंच से परे उस मैदान से होकर रास्ता बनाने में उनकी मदद की, जो भारत के सभी खेलों में नज़र आता है।
किसी भी व्यक्ति की दृढ़ इच्छाशक्ति को कोई भी बाधा कभी भी नहीं रोक सकती है। मैरीकॉम का बचपन अत्यन्त निर्धनता में बीता। मैरीकॉम के ही शब्दों में–“सच तो यह है कि मैं और मेरा परिवार अक्सर अपनी भूख उन मौसमी फलों को खाकर मिटाते, जो गाँव में लगे होते।”
मुक्केबाजी को अपना सब कुछ समर्पित करने वाली मैरीकॉम के अन्दर सफलता या जीत का वह जज्ज़ा ही था, जिसने बचपन से ही अनेक कठिनाइयो एवं विपरीत परिस्थितियों का सामना करने वाली एक अति सामान्य लड़की के पुरुषों वाले खेल, मुक्केबाजी में न केवल अपने कैरियर, बल्कि अपने देश का भी विश्व स्तर पर गौरवान्वित किया।
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लक्ष्य निर्धारण
संघर्ष का दौर
जीत का दौर
जीत बरकरार रखने का दौर
लक्ष्य का पुनः निर्धारण
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Best Motivational thoughts in Hindi for students / जीवन में सफल होने हेतु सबसे अच्छे प्रेरक विचार हिंदी में, ज़िन्दगी में आगे बढ़ने हेतु या उन्नति के लिए Motivational thoughts (प्रेरक विचार) जो आपकी जीत के प्रमुख पड़ावों को पार करने में आपकी मदद करेंगे! |
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