Panchatantra Stories in Hindi – छोटा कद – कहानी
Panchatantra Stories – छोटा कद
प्रेरणादायक कहानियाँ / Panchatantra Stories in Hindi | हिंदी में पंचतंत्र की कहानियां – हिंदी मोरल स्टोरी |
पीपल के पेड़ के नीचे चम्पा नामक एक चींटी का बिल था । वह मिसरी की एक मोटी डली खींचकर अपने बिल की तरफ लाने का प्रयास कर रही थी ।
डली बड़ी होने से चंपा को काफी तकलीफ हो रही थी । उसका बिल भी काफी दूर था ।
और कई दिनों से चंपा बीमार चल रही थी । इसलिए वह आने वाले बरसात के मौसम के लिये अपना भोजन इकट्ठा नहीं कर सकी थी ।
तब वह अपने लिए भोजन खोजने निकली थी, तो कुछ दूर जाने पर उसे एक मोटी सी मिसरी की डली मिल गयी थी ।
इतनी बड़ी मिसरी की डली को देखकर वह प्रसन्न हो गई थी, और मन ही मन सोच रही थी कि यह डली कई दिनों तक क्या बल्कि महीनों तक उसके भोजन में काम आयेगी ।
चंपा बड़ी मुश्किल से उस डली को मुंह में दबाई खींच रही थी ।
अचानक आकाश में बादल घिर आये । तेज हवा चलने लगी । हवा की ठंडी फुहार को देखकर चंपा समझ गई थी कि कुछ ही देर बाद बारिश शुरू होने वाली है । और अभी उसका बिल बहुत दूर है ।
अंतः उसने पूरी ताकत जुटाकर जल्दी-जल्दी उस डली को खींचने की कोशिश की ।
परंतु तभी मोटी-मोटी बूंदे गिरने लगी ।
चंपा हताश हो गयी । You Read Thi s Panchatantra Stories in Hindi on Lokhindi.com
उसने जान लिया था कि मिसरी की डली को अब वह अपने बिल तक नहीं ले जा सकती । बारिश के पानी से जल्दी ही गल जाएगी । उस समय उसे अपना छोटा कद होने पर बढ़ा दुःख हो रहा था ।
वहीं एक अन्य पेड़ पर बैठी गुल नामक एक बुलबुल बड़ी देर से चंपा चींटी को मिसरी की डली खींचते देख रही थी । और अब बारिश होते देख
वह समझ गयी कि पानी में मिसरी गल जायेगी और चंपा चिंटी की मेहनत बेकार हो जायेगी ।
वह तुरंत उसके पास आयी और सहानुभूति पूर्ण स्वर में बोली- “चंपा, तुम कहो तो इस डली को मैं तुम्हारे बिल तक पहुंचा दूँ, वरना यह बारिश के पानी से गल जायेगी ।” Panchatantra Stories in Hindi
“बहन बुलबुल, यदि तुम मेरी सहायता कर दो, तो मै सचमुच तुम्हारा यह उपकार जीते जी नहीं भूलूंगी ।”
फिर चंपा के कहने पर गुल बुलबुल ने डली को अपनी चोंच में दबाया और उसके बिल पहुँचा आई ।
तब चंपा खुश होकर बोली- “तुम बहुत अच्छी हो गुल, सदा सबकी सहायता करने को तैयार रहती हो । बहन, एक में हूं, इतनी छोटी सी हूं कि किसी के काम नहीं आ सकती ।”
इस पर गुल झट से बोली- “नहीं चंपा, ऐसा नहीं कहते, तुम अपने आप को छोटा क्यों समझती हो, जबकि तुम्हारा दिल तो बहुत बड़ा है और तुम्हारे विचार भी बहुत अच्छे हैं । देखो बहन, शरीर के छोटा होने से कुछ नहीं होता, दिल बड़ा होना चाहिए ।”
और फिर गुल अपने घर चली गयी ।
चंपा ने धीरे-धीरे मिसरी की उस मोटी डली को अपने बिल में खींच लिया ।
समय गुजरता रहा । बरसात के मोसम में चींटी मिसरी की डली को खाती रही और मन ही मन बुलबुल का आभार व्यक्त करती रही ।
बरसात का मौसम गुजर गया । सितंबर के महीने में मौसम साफ होने लगा । स्कूल, कॉलेज खुल गये ।
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एक दिन स्कूल के बच्चे पिकनिक मनाने के उद्देश्य से जंगल में आये ।
उन्होंने बुलबुल के पेड़ के नीचे ही अपना डेरा जमा लिया । Panchatantra Stories in Hindi
अचानक शरारती लड़के की नजर बुलबुल के घोंसले पर पड़ गयी ।
वह खुशी से चिल्लाया- “ऐ बच्चों ! वह देखो बुलबुल का घोंसला ! मैं पेड़ पर चढकर अभी उसके अंडे लाता हूँ ।”
उसकी बात सुनकर घोसले में बैठी गुल बुलबुल का दिल दहलने लगा । वह दु:खी मन से अपने अंडों की तरफ देखने लगी । कई दिनों से वह उन्हें ‘सेक’ रही थी । और अब तो एक-दो दिन बाद ही उनमें से बच्चे भी निकलने वाले थे ।
उस शरारती लड़के की बात चंपा चींटी ने भी सुन ली थी । उसे लगा जल्दी ही कुछ ना किया तो गुल बुलबुल के अंडे वह लड़का फोड़ देगा ।
परंतु चंपा चींटी अपने छोटे कद का ख्याल कर सोचने लगी- ‘वह कैसे गुल के अंडों की रक्षा करें ?’
लड़का जब पेड़ पर चढ़ने लगा तो चंपा को अचानक एक युक्ति याद आ गयी ।
उसने अपनी सहेली चींटी को इकट्ठा किया और बोली- “बहनों ! आज एक मानव हमारी बिरादरी के एक पक्षी को क्षति पहुँचाने की कोशिश कर रहा है, कल वह हमें भी क्षति पहुंँचा सकता है । इसलिये उसको आज ऐसा सबक सिखाया जाये की कल वह हम में से किसी को भी कोई नुकसान न पहुँचाये । Panchatantra Stories in Hindi on Lokhindi.com
अतः मेरा आपसे निवेदन है कि हमें उस पर टूट पड़ना चाहिए ।”
इतना सुनते ही चींटीयों के झुंड के झुंड पेड़ पर चढ़े और उस लड़के को काटने लगे ।
लडका चीख मारता पेड़ से नीचे उतर गया । और फिर तिलमिलाकर बोला- “अरे बाप रे ! इस पेड़ पर तो बहुत चिंटिया हैं । मुझे जगह-जगह से काट लिया ।” काटे हुए निशान को वह अपने साथियों को दिखा-दिखा कर कहने लगा ।
सब बच्चों ने अपना डेरा उस पेड़ के नीचे से उठा लिया और उस स्थान से दूर जाकर डेरा जमा लिया ।
चंपा चींटी की होशियारी देखकर गुल बुलबुल कृतज्ञता से बोली- “चंपा बहन, अगर आज तुमने मेरी सहायता न की होती, तो वह लड़का मेरे सारे अंडे फोड़ देता । तुम्हें मैं किस तरह धन्यवाद दूँ ?”
“इसमें धन्यवाद की भुला क्या बात है, बहन ? दु:ख और मुसीबत में एक-दूसरे के काम आना ही हमारा कर्तव्य है ।” चंपा चींटी ने तुरंत बुलबुल के मन को समझाया ।
फिर बुलबुल बोली- “चंपा बहन ! अब तो तुम्हारा वह वहम दूर हो गया होगा न, कि तुम छोटे कद की हो, इसलिए किसी की मदद नहीं कर सकती ।” You Read This Panchatantra Stories in Hindi on Lokhindi.com
“हाँ बुलबुल बहन ! तुम सही कहती हो, प्राणी का कद यदि छोटा हो तो उसे अपने कद को देखकर हिम्मत नहीं हारना चाहिए । बल्कि दिमाग से काम लेकर वह बड़े-बड़ो को धूल चटा सकता हैं ।
अब चंपा को अपने छोटे कद से कोई शिकायत नहीं रही थी ।
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