साध्वी रानी एलिजाबेथ History – Rani Elizabeth Biography Hindi
साध्वी रानी एलिजाबेथ History
– साध्वी रानी एलिजाबेथ का इतिहास / Sadhvi Rani Elizabeth in Hindi। साध्वी रानी एलिजाबेथ का जीवन परिचय History ।
हंगरी के राजा एैंडयू के घर राजकन्या एलिजाबेथ का जन्म सन 1207 ईस्वी में हुआ था। इसे लड़कपन से ही ईश्वर-संबंधी बातें अच्छी लगती और दीन-दु:खियों को देखकर इसका ह्रदय दया से भर जाता।
सेक्सनी के धर्मात्मा राजा हरमैन के पुत्र श्री लुई से एलिजाबेथ का सन 1220 में विवाह हुआ। हरमैन की मृत्यु हो गई थी, इससे राजकुमार लुई अपनी धर्मशिला पत्नी एलिजाबेथ के साथ राज्य सिंहासन पर आसीन हुआ। वह सच्चे हृदय से ईश्वर की उपासना करती और दीनदु:खी दरिद्र, पीड़ित तथा कुष्ठरोगियों की अपने हाथों से सेवा करती।
यह भी पढ़े: हजरत सुलेमान History – Hazrat Suleman Biography Hindi
एक समय सन 1225 ईस्वी में राजा लुई युद्ध के लिए दूसरे देश में चले गए थे। पीछे सारा राज्य कार्य बड़ी योग्यता के साथ एलिजाबेथ ने संभाला। प्रजा बहुत सुखी रही। उनके शासन में देवयोग से उसी समय अकाल पड़ गया। दयामई रानी ने अपने देवर हेनरी तथा राज्य के अन्य अधिकारियों के विरोध करने पर भी राजकीय सभी भंडारों के द्वार खुलवा दिए। प्रजा का सारा कष्ट दूर हो गया।
सन 1227 मे लुई को वापस युद्ध यात्रा करनी पड़ी। यात्रा के समय असकुन हुए। रानी घबराई, परंतु उसके पति को कर्तव्य पालन से रोका नहीं। राजा लुई गए, पर जहाज में ही बीमार होकर स्वर्ग सिधार गए। इस समाचार से रानी को बहुत दु:ख हुआ, परंतु फिर वह ईश्वर का मंगल-विधान मानकर ईश्वर सेवा में लग गई। इस समय उनके तीन बच्चे थे।
लुई के मरने के बाद हेनरी ने बड़ी निर्दयता से रानी को बच्चों समेत बाहर निकाल दिया। वह बच्चों को लेकर चली गई, पर भगवान पर उनका विश्वास अटल रहा। उसे एक बार एक सराय में सूकरखाने में स्थान मिला। वह उसी में आनंद से रही। आखिर उसके मामा ने उसको बुला लिया और उसे आराम से रखा।
यह भी पढ़े: सम्राट अशोक History – Samrat Ashok Biography
सन 1231 के नवंबर में उसे एक रात्रि को बड़े मधुर स्वरों में यह सुनाई दिया- ‘प्रिय एलिजाबेथ, नित्यधाम में तेरे स्वागत के लिए तैयारियां हो चुकी है, तू शीघ्र चल।’
एलिजाबेथ तैयार थी ही। वह उच्च स्वर से प्रार्थना करने लगी। उपस्थित नर-नारी जब रोने लगे, अब उनको समझाती हुई वह बोली- ‘आप लोग शांत रहिए, मेरे दिव्य संगीत श्रवण में आप बाधा मत दीजिए। इतना कहने के बाद ही वह सदा के लिए इस मृत्यलोक से विदा होकर प्रभु के दिव्यध्यान में पहुंच गई। इस समय उसकी उम्र केवल 24 बरस थी।
रोजाना नई जीवनीयो के लिए हमारी APP डाउनलोड करें: https://goo.gl/ExWdX7
Leave a Comment