Hindi Story For Students – सुनहरा पक्षी – Hindi kahani

सुनहरा पक्षी – Hindi Moral Story

Hindi Story For Students

किसी वन में एक बरगद का विशाल वृक्ष था | उस पर एक अद्भुत पक्षी रहता था | वह पक्षी जिस चीज पर भी लोट लगाता था | वह चीज सोने की हो जाती थी | स्वय उस पक्षी का रंग भी सोने का था | एक दिन एक चिड़ियामार उस वृक्ष के नीचे विश्राम करने के लिए आया | तभी उस पक्षी ने पेड़ की डाली और लोट लगायी | तुरंत ही वह डाली सोने की हो गयी | तभी उस पक्षी को ध्यान आया, कि उसने कैसी मूर्खता कर दी है | वह समझ गया कि स्वर्ण के लोभ से चिड़ियामार उसे पकड़ने का प्रयास करेगा | इसी कारण वह उस वृक्ष से  उड़ गया |

चिड़ियामार ने जब उस पेड़ की डालियों यहां तथा पत्तियों को सोने की देखा तो उसे बड़ा आश्चर्य हुआ |

वह बरगद के पेड़ पर खोज करने लगा | उसने पक्षी को लोट लगाते हुए देख लिया था | लेकिन अब उसे वह पक्षी कहीं भी नजर नहीं आया | चिड़िया मार समझ गया, कि उस अद्भुत पक्षी का बसेरा यही पर है | वह पेड़ पर अपना जाल फैलाकर घर चल दिया |

शाम के समय उस पक्षी ने सोचा की चिड़ियामार लौट गया होगा | वह वापस आकर उस पेड़ पर बैठा और जाल में फस गया | सुबह चिड़ियामार ने आकर उसे जाल से निकालकर पिंजरे में बंद कर लिया और अपने घर ले आया |

चिड़ियामार ने वह पक्षी पकड़ तो लिया लेकिन डर के मारे उसकी हालत खराब हो गयी | वह सोच रहा था, कि अगर राजा को उस अद्भुत पक्षी का पता चल गया तो वह उसे इस अपराध का दंड दे सकता है, कि उसने राज्य की कोई अद्भुत चीज राजा से छिपाकर क्यों रखी है | उसने मन में निर्णय लिया की वह स्वय जाकर यह पक्षी राजा को उपहार में दे आयेगा | ऐसा सोच कर वह उस पक्षी के पिंजरे को लेकर राज्यसभा में पहुंच गया |

चिड़ियामार ने बताया कि – “ यह एक अद्भुत पक्षी है | जो जिस जगह पर लोट लगाता है, वह सोने की हो जाती है |” राजा को चिड़ियामार की बात पर विश्वास नहीं हुआ | उसने उस पक्षी के विषय में अपने मंत्रियों से परामर्श किया | प्रधानमंत्री ने मुस्कुराकर कहा – “ महाराज! मुझे लगता है, कि पुरस्कार पाने के लोभ में यह चिड़ियामार झूठ बोल रहा है | ऐसे पक्षी के विषय में आज-तक न तो सुना है, न देखा गया है, और न ही पढ़ा गया है | मेरे विचार से तो इस लोभी चिड़िया मार की बातों पर विश्वास करना सरासर मूर्खता होगी | महाराज, मेरी माने तो आप इस पक्षी को स्वतंत्र कर दीजिये |”

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महाराज ने अन्य मंत्रियों से पूछा तो सभी की यही राय थी की – “ पक्षी को स्वतंत्र कर देना चाहिये | उनके विचार थे, यह चिड़ियामार पक्षी को मार डालेगा | अतः इसे स्वतंत्र कर दिया जाये | दरबार में आकर भी अगर इस पक्षी के प्राणों की रक्षा नहीं की, तो राजा अवश्य ही अपयश के भागी बनेंगे |”

राजा को चिड़ियामार पर बड़ा क्रोध आया | उन्होंने कुपित होते हुए कहा कि – “ इस दुष्ट लोभी चिड़ियामार को कारागार में डाल दिया जाये |”

उस पक्षी को मुक्त कर दिया जाये | वह पक्षी उड़ कर महल के दरवाजे पर जा बैठा तथा वहां लोट लगाने लगा |  उसके लोट लगाने के साथ ही महल का दरवाजा सोने में बदल गया | इधर सैनिक चिड़ियामार को खींच कर ले जाने लगे | चिड़ियामार अपनी सच्चाई की दुहाई देता रह गया; किंतु उसकी बात किसी ने नहीं सुनी |

तभी वह पक्षी दरवाजे पर लौट लगाता हुआ बोला – “ एक तो मैं मूर्ख था | जो इस चिड़ियामार की प्रकृति को जानते हुए भी इसके समक्ष अपना रहस्य खोल दिया | दूसरा यह चिड़ियामार मूर्ख था | जो मुझ जैसे अद्भुत पक्षी को छुपाकर रखने के स्थान पर मुझे राजा को देने चला आया | पहले तो मुझे अपनी तथा चिड़ियामार की मूर्खता का कारण समझ में नहीं आया था | किंतु अब मैं समझ गया हूं, जिस देश का राजा तथा मंत्रीगण ही महामूर्ख हो |  जो बिना परीक्षा लिए किसी सूचना का सत्य-असत्य निर्धारण करते हैं | उस देश की प्रजा में मूर्खता तो होगी ही | यह तो मूर्खों का देश है, और मूर्खों की संगति सदा विनाशकारी ही होती है | अतः मैं इसी समय इस देश का त्याग कर रहा हूं |”

इतना कहकर वह पक्षी अनजान दिशा की ओर उड़ पड़ा | राजा तथा मंत्रीगण एक दूसरे का मुंह देखते रह गये |  तभी राजा जैसे सोते से जागा | उसने तुरंत चिड़ियामार को स्वतंत्र करने का आदेश दिया |

चिड़ियामार को उसके सामने लाया गया | राजा ने उसे बहुत सा-धन दिया | यद्यपि वह अद्भुत पक्षी उड़ गया था | किंतु उसे लाने वाला तो चिड़िया मार ही था | राजा एक और मूर्खता से बचना चाहता था |

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Written by lokhindi
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