सफलता क्या है

सफलता क्या है? – Hindi Motivation for Students

सफलता क्या है?

सफलता क्या है? किस उपलब्धि को जीवन में सफल कहना उचित होगा? क्या परीक्षा में अच्छे अंक लाना ही सफल होना है – Best Hindi Motivation for students / What is success, क्या हर व्यक्ति सफल होता है – जानें


सफलता क्या है

जीवन में सफलता क्या है?

 सफलता हर व्यक्ति की अभिलाषा है, लालसा है, इच्छा है। प्रत्येक व्यक्ति सफल माने जाने वाली शख्सियत के साथ क्रमबद्ध होना चाहता है। सफलता की परिभाषा अलग-अलग व्यक्ति के लिए अलग है। यह व्यक्ति की सोच, उसकी काबिलियत, उसके आत्मबल, उसकी संकल्पृशक्ति के साथ, संस्कारों पर भी निर्भर है। 

ऐसा बहुत बार देखने को मिलता है कि दूसरों को सफल दिखाई देने वाले व्यक्ति, अन्दर से बहुत खिन्न, परेशान एवं टूटे हुए होते हैं। आर्थिक सम्पन्नता को सफलता का मापदण्ड माना जाना, एक बड़ी गलती है, लेकिन मानसिक सन्तुष्टि को सफलता से अवश्य जोड़ा जा सकता है। प्रत्येक व्यक्ति जीवन में सफल होना चाहता है। हर व्यक्ति चाहता है उसे सम्मान मिले, उसके पास पर्याप्त धन हो, रहने के लिए मकान हो एवं अपने मित्रों में, समाज में उसको प्रतिष्ठा मिले। हर व्यक्ति की अभिलाषा होती है वह जो भी कार्य करे, उसमें उसे सफलता मिले। सफलता का आलिंगन हर व्यक्ति करना चाहता है।

लेकिन क्या हर व्यक्ति सफल होता है या 

हम कहें कि क्या हर व्यक्ति को सफलता मिलती?

इस प्रश्न का उत्तर बड़ा सरल है, नहीं। हर व्यक्ति को सफलता नहीं मिलती। सफल होने वाले व्यक्ति, असफल होने वाले व्यक्तियों की तुलना में काफी कम होते है या यह भी कह सकते हैं कि असफल होने वाले व्यक्ति सफल होने वाले व्यक्तियों से संख्या में बहुत अधिक होते हैं। ऐसे व्यक्ति जिन्हें सफलता मिलती है क्या उनमें कुछ खास विशेषता, कुछ विशेष गुण होते हैं? इसका विश्लेषण करने से पूर्व हम इस बिन्दु पर गौर करना चाहेंगे कि वस्तुतः सफलता है क्या?

दूसरों की अपेक्षा यदि आपको सफलता देर से मिले तो निराश नहीं होना चाहिए, क्योंकि मकान बनने से ज्यादा समय महल बनने में लगता है।”—by Mother Teresa

सफलता का अर्थ क्या है? 

किस उपलब्धि को सफलता कहना उचित होगा?

क्या धन कमाना सफलता है? क्या हर धनी व्यक्ति को हम सफल व्यक्ति की श्रेणी में रख सकते हैं? यदि इस बात पर विचार करें तो पता चलेगा कि धन तो बहुत ही क्षुद्र वस्तु है। हर तस्कर, वेश्या, डकैत, माफिया, भ्रष्ट व्यक्ति के पास धन का अम्बार है, लेकिन उन्हें सफल नहीं माना जा सकता। क्या कुछ विशेष पुरस्कार पाने वाले व्यक्ति का सफल कहा जा सकता है? इस पर गौर करें तो हमें लगेगा कि ऐसे व्यक्ति को सफल माना जाना चाहिए लेकिन मात्र पुरस्कृत होने से कोई सफल माना जाए, यह सही नहीं है। यदि किसी व्यक्ति के पास अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए पर्याप्त रोज़गार नहीं है और उसे कोई भी पुरस्कार मिल जाता है, तो यह एक बार की प्रशंसा, उसे सफल व्यक्तियों की श्रेणी में पंक्तिबद्ध नहीं कर सकती। अभी कुछ ही दिन पूर्व अख़बार में समाचार पढ़ने को मिला कि एक परिवार अपने पुत्र को मिले अर्जुन अवार्ड को आर्थिक कारणों से बेचने पर मजबूर हो गया।

क्या परीक्षा में अच्छे अंक लाना सफलता है?

एक छात्र के लिए किसी अभीष्ट परीक्षा में अच्छे अंक लाना सफलता माना जा सकता है, लेकिन यदि अच्छे अंक आने के बावजूद उसे किसी अभीष्ट कोर्स में दाखिला ना मिले या अन्य कोई ऐसा लाभ ना मिल सके तो वह सफलता नहीं हुई ना? यदि उसके अन्य साथियों के भी अच्छे अंक आए हैं तो प्रतिस्पर्धा में कोई-न-कोई तो निराश होगा ही। 

मानो 10 सीट हैं, लेकिन 20 छात्रों के अच्छे अंक आए हैं। तो जिनको दाखिला नहीं मिला, वे असफल माने जाएँगे। एक खिलाड़ी के लिए, किसी स्पर्धा में जीत हासिल कर लेना, एक टीम के लिए किसी खेल स्पर्धा में प्रथम स्थान प्राप्त कर लेना, सफलता कहा जा सकता है। इसका अर्थ हुआ कि सफलता के लिए, किसी अन्य से उत्कृष्ट प्रदर्शन की आवश्यकता है। दूसरे शब्दों में सफलता निरपेक्ष नहीं है, बल्कि वर्तमान सन्दर्भ में सफलता सापेक्ष है।

यह भी पढ़े: अपूर्व साहस Inspirational Story

सफलता व्यक्तिशः है

एक व्यक्ति को सफलता, मात्र एक ऐसी नौकरी पाने में आती है जिसमें उसका एवं उसके परिवार का आराम से भरण-पोषण हो रहा है एवं साधु को सफलता भगवान के भजन करने में नज़र आती है। एक प्रेमी को सफलता अपनी प्रेमिका से शादी करने में नज़र आती है। किसी के लिए कोई तय लक्ष्य प्राप्त कर लेना सफलता है। एक छात्र को सफलता रोज़गार प्राप्त करने में नज़र आती है। एक डॉक्टर को सफलता अपने मरीज़ का रोग निदान करने में नज़र आती है।

एक व्यवसायी को सफलता, अपने व्यवसाय के सुचारु रूप से चलने में नज़र आती है। एक वैज्ञानिक के लिए सफलता एक नई खोज में है। इसी प्रकार, एक एथलीट के लिए सफलता अपनी स्पर्धा में प्रथम आने में है। इस तरह हर व्यक्ति के लिए सफलता के अलग-अलग मायने हैं, आयाम हैं, लेकिन बहुत-से ऐसे व्यक्ति भी हैं जिन्हें सब कुछ मिलने के बाद भी वे हमेशा असन्तुष्ट नज़र आते हैं, वे हमेशा स्वयं को अन्य की तुलना में कमतर समझते हैं। ऐसे लोगों की संख्या भी कम नहीं है। इस तरह सफलता व्यक्तिगत है। सफलता व्यक्ति के विचारों से निर्धारित होती है। यदि इस दृष्टिकोण से सफलता को समझने का प्रयास करें तो हम पाते हैं कि जिस कार्य को करने से आप सन्तुष्ट होते हैं, आपको आन्तरिक खुशी होती है, आपको सुकून मिलता है तो यह सफलता है। सफलता के लिए, मानसिक सन्तुष्टि सबसे अहम् आवश्यकता है।

सफलता क्यों?

 मनुष्य एक विवेकशील जीवन्तु प्राणी है जो अपने पुरुषार्थ के बल पर स्वयं को अन्य से श्रेष्ठ साबित करने की आन्तरिक इच्छा से बहुत से कार्य करता है। अपनी मूलभूत ज़रूरतों को पूरा करने के पश्चात् व्यक्ति की इच्छा कुछ ऐसा करने की होती है जिससे वह सापेक्ष रूप से श्रेष्ठतर महसूस करे। यह प्रतिस्पर्धा नहीं, बल्कि व्यक्ति की स्वाभाविक, नैसर्गिक इच्छा का परिणाम है। 

आप और मैं ही नहीं, हर व्यक्ति सफल होना चाहता है। प्रत्येक व्यक्ति की ख्वाहिश होती है, दिल में तमन्ना होती है। कि वह जो भी कार्य करे, उसमें वह सफल हो जाए। हर व्यक्ति सफलता की अभिलाषा रखता है, प्रत्येक व्यक्ति सफलता का वरण करना चाहता है। सफलता का अर्थ व्यक्तिगत है। एक मजदूर के लिए सफलता, अपने लिए एवं

अपने परिवार के लिए दो चुन की रोटी का प्रबन्ध करना है। तो एक व्यवसायी के लिए सफलता, उसके द्वारा निर्धारित लक्ष्य की प्राप्ति है चाहे वह आय के सन्दर्भ में हो या बिक्री वृद्धि सन्दर्भ में या उत्पादन के सन्दर्भ में। एक डॉक्टर के लिए सफलता, उसके मरीज़ का सफल इलाज है तो उन वैज्ञानिक के लिए सफलता, उसके द्वारा किए जा रहे अनुसन्धान में सफलता है।

बहत-से लोगों के लिए, धन ही सफलता का मापदण्ड है। जबकि बहुत-से व्यक्तियों के लिए किसी पुरस्कार की प्राप्ति सफलता का मापदण्ड है, लेकिन यदि एक करोड़पति व्यक्ति, लाइलाज रोग से ग्रसित हो जाए तो क्या उसे सफल कहा जा सकेगा? इसी प्रकार, किसी बड़े पुरस्कार से नवाज़े गए व्यक्ति को अपनी उदर पूर्ति के लिए भीख माँगने पर मजबूर होना पड़े तो क्या वह सफल है?

सफलता का शब्दों में वर्णन करना, परिभाषित करना एक असम्भव नहीं तो बहुत कठिन कार्य अवश्य है।

कभी आपने सोचा है कि आप क्यों सफल होना चाहते है?

आप सफलता की बुलन्दियों पर क्यों पहुँचना चाहते हैं?

क्यों आप सफलता के लिए लालायित रहते हैं?

इस क्यों का उत्तर बहुत-से लोग अपने-अपने ढंग से देते हैं। कुछ व्यक्तियों का कहना है कि सफल होने पर उन्हें धन मिलता है, समृद्धि मिलती है, जो भी कुछ जीवन में चाहते हैं वह मिलता है। कुछ सोचते हैं कि सफल होने पर उन्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है, वे आगे बढ़ने हेतु उत्साहित होते हैं। कुछ सोचते हैं कि सफलता जीवन में अति आवश्यक है। यदि सफलता नहीं मिलेगी तो जीवन निराशापूर्ण एवं अन्धकारमय हो जाएगा। बिना सफलता के जीवन कुछ भी नहीं है।

कुछ का सोचना है कि सफलता मिलने से उन्हें खुशी मिलती है। सफलता मिलने पर होने वाली खुशी के अनुभव को शब्दों में व्यक्त करना सम्भव नहीं है, लेकिन यह ऐसा आन्तरिक अनुभव है जो किसी विजेता को जीत पर महसूस होता है। कुछ का कहना है कि सफलता की आवश्यकता इसलिए है कि लोगों के मध्य आपका महत्त्व बढ़ता है। वे आपको सम्मान की दृष्टि से देखते हैं। आपको ऐसे महत्त्वपूर्ण व्यक्तियों में शुमार किया जाता है जो किसी-न-किसी क्षेत्र में आदर्श होते हैं। कई व्यक्ति इस प्रश्न को ही नकारते हैं। उनका कहना है कि सफलता तो जीवन का एक भाग है। जब कोई व्यक्ति किसी कार्य को करता है तो वह उस कार्य में सफल होना चाहता है। उनके अनुसार सफलता एक नैसर्गिक आवश्यकता है।

यह भी पढ़े: जीतना है तो ज़िद करो

सफलता क्यों ?

इस प्रश्न की गहराई में जाकर विचार करें तो प्रतीत होता है। कि सफलता, व्यक्ति की सापेक्षतया उत्कृष्ट बनने की चाहत का परिणाम है। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। वह बहुत-से कार्य तो अपनी दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु कुछ कर्म करता है अर्थात् अपनी प्राकृतिक ज़रूरतों को पूरा करने हेतु कुछ कार्य करता है। उसके बाद वह जीवित रहने हेतु खाने, पीने, रहने का प्रबन्धन करने हेतु कुछ कार्य करता है। उसके बाद भी एक व्यक्ति बहुत सारे कार्य करता है, मेहनत करता है, बेइमानी, ईमानदारी से पैसा कमाता है। ये सब कार्य क्यों करता है?

इस क्यों का जवाब ही, सफलता क्यों?

(अर्थात् व्यक्ति सफलता क्यों पाना चाहता है?)

व्यक्ति एक सामाजिक प्राणी होने के साथ-साथ, एक बुद्धिजीवी भी है। वह समाज में अपने साथियों के मध्य, अपना महत्त्व स्थापित करना चाहता है। यह हर प्राणी की इच्छा होती है कि वह अपने मित्रों, रिश्तेदारों, आत्मजनों, आस-पड़ोस, परिचितों के मध्य अलग से पहचाना जाए। वह इनके मध्य स्वयं को उत्कृष्ट बनाना चाहता है। (यह नैसर्गिक इच्छा हर प्राणी में, पशु-पक्षियों में भी होती है। उनके मध्य होने वाली लड़ाई, उनकी किसी-न-किसी रूप में उत्कृष्टता, वर्चस्व स्थापना की लड़ाई होती है।)

इस उत्कृष्टता की लालसा, उसे कुछ विशिष्ट कार्य करने को प्रेरित करती है। सफलता-सापेक्ष है अर्थात् औरों से अधिक अच्छा प्रदर्शन ही तो सफलता है। सफलता, अपने ही लोगों के मध्य आदर पाने की इच्छा, अपने परिचितों के मध्य, अधिक महत्त्वपूर्ण साबित करने की कामना का परिणाम है। इस प्रकार की नैसर्गिक इच्छाओं की पूर्ति हेतु, व्यक्ति मेहनत करता है। विपरीत परिस्थितियों में भी दृढ़ता के साथ बढ़ता है। अपने लक्ष्य की प्राप्ति हेतु अपनी योग्यता, क्षमता अनुसार वह सफल होना चाहता है। अपने स्तर के व्यक्तियों के मध्य अन्य से स्वयं को किसी क्षेत्र में श्रेष्ठतर साबित करना ही तो सफलता है। व्यक्ति सफल कब है जब उसकी तुलना में अन्य, उसी स्तर (Level) के व्यक्ति उससे कमतर हैं। सफलता–एक की श्रेष्ठता एवं अन्य की कमतरता की द्योतक है। यदि सभी समान हैं तो किसी को भी सफल नहीं कहा जा सकता।

यदि किसी अभीष्ट परीक्षा में सभी अभ्यर्थियों के 95% अंक आएँ तो उनमें से परीक्षा तो सभी ने पास की, लेकिन श्रेष्ठ कौन? सफल कौन? लेकिन यदि सभी के 53% अंक आएँ। एवं दो अभ्यर्थियों के 56% अंक आएँ तो सफलतम वे अभ्यर्थी हैं, जिनके 56% अंक आए हैं। सफलता के लिए एक और महत्त्वपूर्ण बिन्दु है, वह है स्तर। सफलता के लिए तुलना-समान लोगों में ही प्रथमतया होती है। जैसे ऐसे व्यक्ति जिनकी शैक्षिक योग्यता समान है, या जिनकी आय समान है, या जो किसी भी प्रकार से निर्धारित एक श्रेणी में वर्गीकृत हैं। इनमें से श्रेष्ठता प्राप्त करने के बाद, वह अपने से ऊपर के स्तर के व्यक्तियों से स्वयं को श्रेष्ठ प्रदर्शित करने में लग जाता है। इसलिए कहा जाता है कि सफलता एक स्थिर स्थिति नहीं है, यह एक लगातार चलने वाली प्रक्रिया है। यदि सफल होने की इच्छा लिए व्यक्ति, एक स्तर प्राप्त करने के बाद, प्रयास छोड़ देता है तो कुछ समय बाद उससे आगे कितने ही लोग निकल जाएँगे। इसीलिए कहते हैं कि सफलता लगातार चलने वाली प्रक्रिया है। सफलता के लिए लगातार प्रयास एवं जागरूक रहना आवश्यक है।

“केवल मन के चाहे से न मनचाही पूरी होती है, बिना परिश्रम किए न जीत हासिल होती है, पर्वत पर फतेह करने को पर्वत पर चढ़ना पड़ता है, सागर से मोती लाने को पानी में उतरना पड़ता है,  लक्ष्य पूर्ति करने को पूरे मन से प्रयास करो, आराम को त्यागो तुम कड़ी मेहनत पर विश्वास करो,  ईमानदारी, लगन कभी बेकार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।”

हमारी ANDORID APP डाउनलोड करें: Playstore

Share:
Written by lokhindi
Lokhindi is a Hindi website that provides Hindi content to the consumers such as jokes, stories, thought, and educational materials etc. Lokhindi website run by "The Arj Team".